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मंगल पर भी रह सकेंगे इंसान! वैज्ञान‍िकों को अंटार्कटिक में म‍िली ऐसी खास चीज, जो लाल ग्रह पर बना देगी लाइफ आसान

Space Scientist Research: मंंगल ग्रह पर जीवन संभव है। इसकी तलाश में वैज्ञानिकों के हाथ एक खास चीज लगी है, जिसने लाल ग्रह पर पर जीवन की उम्मीद जगाई है। चीन के वैज्ञानिकों को एक ऐसी चीज मिली है, जो मंगल ग्रह पर जिंदा रह सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर मामला क्या है?
12:43 PM Jul 02, 2024 IST | Khushbu Goyal
मंगल पर भी रह सकेंगे इंसान  वैज्ञान‍िकों को अंटार्कटिक में म‍िली ऐसी खास चीज  जो लाल ग्रह पर बना देगी लाइफ आसान
अंतरिक्ष वैज्ञानिक पिछले कई सालों से मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश कर रहे हैं।

Life on Mars Space Scientists Study Update: मंगल ग्रह पर सांस लेना संभव है। जी हां, भविष्य में लाल ग्रह मंगल इंसानों के रहने लायक बन सकता है। वहां पर सांस लेना संभव हो सकता है। यह खुलासा एक स्टडी में हुआ है, जिसका आधार वह खास चीज है, जो चीन के वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। यह चीज अंटार्कटिका के रेगिस्तान में मिली है। यह चीज एक प्रकार की 'काई' है, जो मंगल ग्रह पर जीवित रह सकती है।

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चीन के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सिंट्रिचिया कैनिनेर्विस नामक इस काई में लाल ग्रह की कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता है। यह काई कठोर परिस्थितियों में भी पाई जा सकती है। चाहे वह गर्म रेगिस्तान हो या बर्फीला, यह काई मिल जाएगी। हालांकि यह काई खाने योग्य नहीं है, लेकिन इंसानों के लिए यह हवा और पानी के लिए ऑक्सीजन पैदा करने का एक तरीका हो सकती है। इसकी मदद से ही लाल ग्रह पर जीवन की उत्पत्ति संभव है। इससे लाल ग्रह को इंसानों को बसने लायक बना सकते हैं।

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काई को मंगल-चंद्रमा पर ले जाने की योजना

चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च के रिजल्ट The Innovation जर्नल में पब्लिश हुए। इसमें वैज्ञानिकों ने बताया है कि -80 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह करीब 5 साल और -196 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिन तक जिंदा रह सकती है। यह अंटार्कटिका और मोजावे रेगिस्तान जैसे विषम परिस्थितियों वाले माहौल में पाई जाती है।

काई पर अलग-अलग तरह के शोध करने के बाद वैज्ञानिकों ने पौधे को मंगल ग्रह पर पाई जाने वाली विषय परिस्थितियों में भी रखा और अपेक्षित परिणाम हासिल करने में सफलता प्राप्त की। इसमें 95 प्रतिशत-कार्बन डाइ-ऑक्साइड वाला वातावरण, अत्यधिक अस्थिर तापमान और उच्च स्तर की अल्ट्रा वॉयलेट विकिरणें शामिल थीं।

वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई कि कि इस काई को मंगल ग्रह या चंद्रमा पर ले जाया जा सकता है, ताकि अंतरिक्ष में पौधों के बसने और विकास की संभावनाओं पर रिसर्च की जा सकते, क्योंकि मंगल पर जीवन की संभावना अभी 100% सुनिश्चित नहीं।

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मंगल पर जीवन की तलाश का रास्ता अभी लंबा

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टुअर्ट मैकडैनियल ने द गार्जियन को बताया कि चीन के वैज्ञानिकों का यह प्रयोग एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन रिसर्च के परिणाम यह नहीं दर्शाते कि काई मंगल ग्रह पर पाई जाने वाली विषम परिस्थितियों में ऑक्सीजन बनाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकती है। न ही वे यह दर्शाते हैं कि रेगिस्तानी काई मंगल ग्रह पर प्रजनन और प्रसार कर सकती है।

मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन यह रेगिस्तानी काई भविष्य में मंगल ग्रह को मानव जाति के रहने योग्य बनाने की एक उम्मीद पैदा करती है। यह खबर ऐसे समय में आई है, जब नए परीक्षणों से पता चला है कि मंगल ग्रह पर रहने वाले लोग अपना भोजन स्वयं उगा सकते हैं। लंदन स्थित ग्रीनविच विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ बेन्ज कोटजेन कहते हैं कि मंगल ग्रह पर बसने के लिए लोगों को वहां अपना भोजन स्वयं उगाना होगा। नासा अगले कुछ दशकों में सूर्य से दूर चौथे ग्रह पर बस्तियां स्थापित करना चाहता है।

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