Maldives Election: क्या मुइज्जू को फिर मिलेगा जनता का साथ! मालदीव में भारत विरोधी लहर का कितना असर?
Maldives India Row: मालदीव में बहुदलीय संसदीय चुनाव रविवार को होने हैं। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की विवादास्पद भारत नीति और भारतीय सुरक्षा बलों के निष्कासन को लोग कितना पसंद करते हैं। इस सबका फैसला लोग बहुमत से करेंगे। वहीं, भारत यही चाहेगा कि मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ही इस चुनाव में जीत दर्ज करे। एमडीपी को भारत समर्थक माना जाता है। मालदीव में चौथी बार बहुदलीय संसदीय चुनाव होने हैं। हालांकि एमडीपी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने अपनी पार्टी की जीत का दावा किया है।
The Archipelago nation of #Maldives is abuzz with preparations for its fourth multiparty parliamentary election to be held tomorrow.
Eight political parties are vying for control of the People’s Majlis, fielding a total of 368 candidates across the 93 constituencies.
The…
— Atulkrishan (@iAtulKrishan1) April 20, 2024
उन्होंने कहा कि मुइज्जू पिछले 5 महीने में देश और विदेश, दोनों जगहों पर नाकाम साबित हुए हैं। मालदीव में लगातार लोकतंत्र खतरे में जा रहा है। झूठ और नफरत फैलाकर काम नहीं हो सकता। मालदीव में विकास कार्य ठप पड़े हैं। स्वामित्व वाली कंपनियों में कर्मियों को धमकाया जा रहा है। प्रतिशोध की भावना से काम किया जा रहा है। विपक्ष के हजारों लोगों को नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है। जरूरी सेवाओं की आपूर्ति रोकने की मांग हो रही है। देश के सामाजिक और सैद्धांतिक मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है। जिसका जवाब लोग वोट की चोट से देंगे।
जनता एमडीपी को ही सपोर्ट करेगी-अब्दुल्ला
अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि एमडीपी बहुमत लेकर आएगी, ऐसा उनको विश्वास है। 2019 में उन लोगों को 65 सीटें मिली थीं, लेकिन दलबदल के कारण बाद में बहुमत कम हो गया। सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) गठबंधन को एमडीपी में दलबदल के कारण ही फायदा मिला था। पिछले महीने ही संसद में दलबदल कानून पारित किया गया है। पिछला चुनाव चीन समर्थक मुइज्जू ने जीता था। इसमें एमडीपी के पूर्ववर्ती इब्राहिम सोलिह की हार हुई थी। सोलिह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और चीन के आमने-सामने रहे थे।
दिल्ली से पहले बीजिंग जाने वाले राष्ट्रपति
जनवरी में मुइज्जू ने बीजिंग का दौरा कर अपने चीन समर्थक होने का प्रमाण था। जहां कई समझौतों का करार किया गया था। वे मालदीव के पहले राष्ट्रपति बने थे, जिन्होंने दिल्ली से पहले बीजिंग का रुख किया। मालदीव के जलक्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति से पीछे हटने और नौसैनिक हेलिकॉप्टरों का संचालन करने वाले सैनिकों को बाहर करने का फरमान भी राष्ट्रपति बनते सुनाया था। इंडिया आउट अभियान के दम पर चुनाव जीतने वाले मुइज्जू कई बार भारत के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं। अब लोगों में इसका कितना असर है, यह चुनाव परिणाम तय करेंगे।