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नए वायरस के डर से फ‍िर लगा लॉकडाउन! अमेर‍िका के 4 शहरों में शाम 6 बजे के बाद बाहर न‍िकलना बैन

What is EEE: अमेरिका में एक बार फिर से लॉकडाउन लग गया है, फिर से एक नई बीमारी ने लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। अभी मैसाचुसेट्स के चार शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है। इस बार घरों में रहने की वजह मच्छर बना है।
06:55 PM Aug 24, 2024 IST | News24 हिंदी
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What is EEE: कोविड-19 के दौरान सारी दुनिया ने लॉकडाउन को देखा। इस दौरान लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए थे। इस बीमारी ने बहुत से परिवार उजाड़ दिए, कई लोगों के रोजगार छीन लिए। बच्चा बच्चा लॉकडाउन के बारे में जान गया था। अमेरिका में फिर से लॉकडाउन लगाया गया है। इस बार इसको लगाने की वजह मच्छर बने हैं। बुधवार को ऑक्सफोर्ड बोर्ड ऑफ हेल्थ ने लोगों से एक अपील की है।

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ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस (EEE) एक खास तरह के मच्छर से फैलने वाला वायरल होता है। EEE को वर्तमान में एक उभरती हुई बीमारी के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके सालाना 6 से 8 मामले दर्ज किए गए है। फिलहाल इसका प्रकोप मैसाचुसेट्स के चार शहरों में ज्यादा देखा गया है। जिसमें डगलस, ऑक्सफोर्ड, सटन और वेबस्टर का नाम शामिल है। इन शहरों में ही शाम के लॉकडाउन का ऐलान किया गया है। जानकारी के मुताबिक, शाम के वक्त ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके लिए ही घरों में रहने की सलाह दी गई है।

ऑक्सफोर्ड बोर्ड ऑफ हेल्थ ने अपनी अपील में लोगों ने वोटिंग कराई। वो ये जानना चाहते थे कि उनके फैसले का कितना लोग समर्थन करते हैं। इसमें 6:00 बजे के बाद घर के अंदर रहने की बात कही गई। ये फैसला बीमारी को रोकने के लिए लिया गया है। ये बीमारी पहले घोड़ों में फैलती है वहीं से ये मच्छरों में होती है, मच्छरों से इंसानों तक पहुंचती है।

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इस बीमारी के लक्षण काफी सामान्य होते हैं। EEE में बुखार, उल्टी, दस्त, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, दौरे, व्यवहार में बदला


EEE से बचाव के कई उपाय बताए गए हैं। इसको लेकर एमडी एडवर्ड लियू का कहना है कि मच्छरों के काटने से बचना ही इस बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने आगे कहा कि शाम का लॉकडाउन इस बीमारी से बचने का दूसरा तरीका है। इसके लिए ऐसे काम ना किए जाएं जिससे मच्छों में बढ़ोतरी हो, या मच्छरों को मारने के लिए दवाओं का छिड़काव किया जाए। इन वायरल एन्सेफलाइटिस का कोई इलाज नहीं है, इसलिए रोकथाम और सहायक देखभाल ही अकेला उपाय हैं।

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