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बुखार हो या शरीर में चकत्ते, छाले... कोरोना के बाद दुनिया में एक और वैरिएंट की दस्तक

Mpox Variant : अगर घर में आपके या बच्चे के शरीर में चकत्ते हो या बुखार हो तो सावधान हो जाएं और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कोरोना वायरस के बाद दुनिया में एक और जानलेवा बीमारी ने दस्तक दी है। कई देशों में एमपॉक्स तेजी से फैल रहा है।
10:42 PM Aug 03, 2024 IST | Deepak Pandey
कोरोना के बाद दुनिया में एक और वैरिएंट की दस्तक।
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Mpox Variant : जहां दुनिया धीरे-धीरे कोराना महामारी के सबसे बुरे दौर से उबर रही थी तो वहीं एक नया घातक वैरिएंट आ रहा है। यह बीमारी कई देशों में दस्तक दे चुकी है, जिससे कई लोग संक्रमित हैं। इस वैरिएंट की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। इसे लेकर एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि नया 'घातक' एमपॉक्स वैरिएंट तेजी से फैल रहा है, जिससे गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। 10 में से एक बच्चा बुखार, चकत्ते और मवाद से भरे छालों से पीड़ित होकर मर रहा है। एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था।

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अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में स्थित कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और उसके आसपास के देश अभी 2022-23 में एमपॉक्स वैरिएंट के प्रकोप से उबरे हैं, जहां 100,000 लोग संक्रिमत हुए थे। सूत्रों का कहना है कि इस महामारी को दोबारा होने से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं। अब इस वैरिएंट का एक और घातक रूप सामने आ रहा है, जिससे बच्चों में मृत्यु दर 10 प्रतिशत बताई गई है।

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दक्षिण अफ्रीका के देशों में फैल रहा वैरिएंट

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शोधकर्ताओं का कहना है कि एमपॉक्स का नया वैरिएंट 'क्लेड 1बी' फैल रहा है, जिससे हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के देशों में दर्जनों लोगों की मौत हो गई। एनएचएस ने पश्चिम अफ्रीका से ब्रिटेन की यात्रा करने वाले लोगों से एमपॉक्स के लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सा सहायता लेने की अपील की।

टीकों का नहीं हो रहा इस्तेमाल

आपको बता दें कि मध्य और पूर्वी अफ्रीका में पाया जाने वाला एमपॉक्स 1970 के दशक की शुरुआत से ही लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि, अब इस बीमारी के लिए टीके भी मौजूद हैं, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक घातक बीमारी है, जिसमें बड़े लोगों की मृत्यु दर 5 प्रतिशत है।

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कांगो गणराज्य ने एमपॉक्स विरोधी टीके को दी मंजूरी

कांगो गणराज्य के अधिकारियों ने जून में एमपॉक्स विरोधी टीके को मंजूरी दे दी थी, जिससे पिछले साल 20,000 मामलों में से 1,000 लोगों की मौत हो गई थी। कई लोगों को चिंता सता रही है कि इस वैरिएंट से प्रभावित देशों के पास टीके नहीं हैं, ऐसे में यह फिर फैल सकता है। इस साल कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में 11,000 मामले सामने आए हैं।

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