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इंजेक्‍शन के जर‍िए नसों में भर द‍िया जाता पेट्रोल और फ‍िनाइल, 1.32 लाख मह‍िलाओं की बर्बरता की कहानी

Nazi Concentration Camps News: नाजी कितने बर्बर थे? इसकी कहानियां समय-समय पर सामने आती रहती हैं। अब एक नए यातना शिविर के बारे में पता लगा है। जहां महिलाओं के ऊपर जुल्म किया जाता था। उनको जहर के इंजेक्शन लगाए जाते थे। रोजाना बाहर से महिलाओं को लाया जाता और उनके ऊपर जमकर जुल्म किए जाते। हिटलर का मानना था कि सैनिक के लिए नियमित सेक्स जरूरी है।
07:00 PM Jul 13, 2024 IST | Parmod chaudhary
इंजेक्‍शन के जर‍िए नसों में भर द‍िया जाता पेट्रोल और फ‍िनाइल  1 32 लाख मह‍िलाओं की बर्बरता की कहानी
नाजियों की बर्बरता की कहानी।

Second World War: नाजी कितने बर्बर थे? कितने यहूदियों को मौत के घाट उतारा? इसके बारे में समय-समय पर जानकारियां मिलती रहती हैं। अब रेवेन्सब्रुक में एक और यातना शिविर के बारे में पता लगा है। 80 साल पहले यहां लाखों महिलाओं के साथ जुल्म हुआ था। यह शिविर जर्मनी की राजधानी बर्लिन से 56 मील उत्तर में मिला है। जो देवदार के जंगलों के बीच 15 फीट ऊंची दीवारों के साथ बनाया गया था। दीवारों के ऊपर कांटेदार तार लगे हैं। यहां 6 साल तक लोगों के साथ जुल्म किया गया था।

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नियमित सेक्स को सही मानता था हिटलर

जर्मन तानाशाह हिटलर का मानना था कि सेक्स हर सैनिक के लिए नियमित तौर पर जरूरी है। यहां महिलाओं को किडनैप कर लाया जाता और उनके साथ बर्बरता की जाती। इस शिविर में घोर युद्ध अपराध किए गए थे। शिविर में जर्जर लकड़ी की बैरकें आज भी जुल्मों की गवाही देती हैं। माना जाता है कि यहां 6 साल में 132000 महिलाओं के साथ कई-कई बार रेप किया गया।1945 में फुएरस्टेनबर्ग के पास स्थित शिविर में लगभग 20 हजार लोगों को भूखा रखकर मौत के घाट उतार दिया गया। रेवेन्सब्रुक शिविर में बच्चों को भी नहीं बख्शा गया। भूखा रखने के अलावा गोली मारकर, जहर के इंजेक्शन लगाकर, फांसी और गैस से भी नरसंहार किया गया।

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इस शिविर को उस समय जेल जैसा रूप दिया गया था। जहां कुल आबादी की 20 फीसदी यहूदी महिलाओं को कैद किया गया था। हिटलर और इसके सैनिक इन महिलाओं को निम्न वर्ग का मानते थे। कुछ महिलाएं सोवियत संघ, फ्रांस, हॉलैंड और हंगरी से भी कैद करके लाई गई थीं। इनको सुबह 3 बजे जगाया जाता था। सिर्फ पतली सी धारीदार वर्दी पहनने को दी जाती थी, जिनका काम हाड़ कंपकंपा देने वाली ठंड में गुलामों से बदतर था। छोटी सी गलती पर बिना सुन्न किए दांत निकाल दिए जाते थे।

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दूसरे विश्व युद्ध में ढाई लाख यहूदी मारे गए

जानवरों से भी बुरा सलूक इनसे किया जाता था। इनका काम सेना की वर्दी सिलना, पत्थर ढोना और बिजली के उपकरण बनाना था। 1939 से 1945 के बीच इन गुलामों में अगर कोई कमजोर हो जाता तो उसे मार दिया जाता। इस शिविर की खोज पोलैंड के राष्ट्रीय स्मृति संस्थान की एक टीम ने की थी। जो उत्तरी जर्मनी में एक नजदीकी कब्रिस्तान में रेवेन्सब्रुक में मारे गए पोलिश महिलाओं के अवशेष खोजने आई थी। नौ कलश और दो धातु की पट्टिकाएं इस टीम की ओर से खोजी गई थीं। दूसरे विश्व युद्ध में लगभग ढाई लाख यहूदियों को मौत के घाट उतारा गया था। सामाजिक बहिष्कार कर लोगों को ऐसे शिविरों में बंधक बनाया जाता था।

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