व्हाट्सएप मैसेज और सजा-ए-मौत! 22 साल के लड़के की जान का दुश्मन क्यों बना पाकिस्तान?
Pakistan Student Got Death Penalty over WhatsApp Message : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 22 साल के एक छात्र को मौत और 17 साल के छात्र को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। दोनों को एक ही मामले में दोषी करार दिया गया है। यह मामला एक व्हाट्सएप मैसेज से जुड़ा हुआ है। इन छात्रों पर आरोप है कि व्हाट्सएप मैसेज के जरिए उन्होंने ईशनिंदा की है। छात्रों को मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए व्हाट्सएप पर आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियोज शेयर करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है।
In Pakistan, a 22-year-old student has been sentenced to death and a 17-year-old to life imprisonment for blasphemy, based on Whatsapp messages. The court ruled they intended to offend Muslims' religious feelings. Critics argue the case is false, both defendants deny wrongdoing.
— Lavrion Mining (@LavrionMining) March 8, 2024
दोनों युवकों का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। पाकिस्तान की फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) की साइबर क्राइम यूनिट ने लाहौर में साल 2022 में दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। बाद में यह मामला गुजरानवाला की एक स्थानीय अदालत में भेजा गया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि 22 वर्षीय लड़के को ऐसी तस्वीरें बनाने और व्हाट्सएप पर उन्हें शेयर करने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है जिनमें पैगंबर मोहम्मद और उनकी पत्नियों को लेकर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है।
हाईकोर्ट में अपील करेगा छात्र का पिता
वहीं, दूसरे छात्र को नाबालिग होने की वजह से आपत्तिजनक कंटेंट शेयर करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। मामले में शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसे तीन अलग-अलग फोन नंबरों से आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें मिली थीं। एफआईए ने उसके फोन की जांच के बाद पुष्टि की कि ऐसा सच में हुआ था। हालांकि, डिफेंस लॉयर का कहना है कि दोनों छात्रों को फर्जी मामले में फंसाया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार जिस छात्र को मौत की सजा मिली है उसके पिता ने फैसले को लाहौर हाईकोर्ट में चुनौती देने का मन बनाया है।
ईशनिंदा में है मौत की सजा का प्रावधान
पाकिस्तान में ईशनिंदा को एक बड़ा अपराध माना जाता है। इसके आरोपी कुछ लोगों को तो उनके ट्रायल की शुरुआत होने से पहले ही भीड़ हिंसा में अपनी जान गंवानी पड़ी है। पिछले साल अगस्त में जरांवाला शहर में इसे लेकर हिंसा भड़की थी। यहां दो ईसाई लोगों के खिलाफ कुरान का अपमान करने का कथित मामला सामने आने के बाद कई चर्च और घरों को आग लगा दी गई थी। ईशनिंदा को लेकर यहां मौत की सजा का प्रावधान है। 1947 से 2021 तक ईशनिंदा के मामलों में कम से कम 89 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी।
After Jaranwala incident, two Christian brothers were put behind bars under #Blasphemy. Now, when they are being released, we need to ask strong questions to the #Pakistan state as to why they were jailed and why no concrete action was taken against radical mobs. @FarazPervaiz3 https://t.co/y5qxjgW0j4
— Tahreem Akhtar (@Tahz42) March 6, 2024
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