मोसाद ने जब किया था सबसे बड़े दुश्मन का खात्मा, डॉक्टर भी 30 साल तक नहीं बता पाए थे मौत की वजह
Israel Iran Tension: हाल ही में इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया को मौत के घाट उतारा है। बेहद सुरक्षा के बीच इजराइल ने प्लान बनाकर अपने दुश्मन का खात्मा कर दिया। दावा है कि मोसाद ने कई माह की प्लानिंग के बाद हानिया को ढेर किया है। यह पहली बार नहीं है, जब मोसाद ने ऐसा किया हो। इजराइल की खुफिया एजेंसी पहले भी दूसरे देशों में इजराइल के दुश्मनों का काम तमाम करती रही है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार हानिया की हत्या में मोसाद का साथ ईरान के भी कुछ अधिकारियों ने दिया है।
1978 में मारा गया था वाडी
मोसाद फिलिस्तीन, सीरिया, ईरान और लेबनान में इस तरह के कई ऑपरेशन कर चुकी है। फिलिस्तीन में तो ऑपरेशन मोसाद के बाएं हाथ का खेल माना जाता है। फिलिस्तीनी कमांडर वाडी हद्दाद को जिस तरह मारा गया था। वह आज भी चर्चा का विषय है। रिपोर्ट के मुताबिक अजीब ढंग से मोसाद ने 1978 में वाडी को मौत के घाट उतारा था।
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मोसाद के एजेंटों ने जहरीले टूथपेस्ट का प्रयोग हत्या के लिए किया था। फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए जो फ्रंट उस समय बना था। वाडी उसका प्रमुख चेहरा था। जिसे इजराइल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था। वाडी ने 1976 में एयर फ्रांस के विमान का भी अपहरण किया था। जिसे एंटेबे अपहरण कहा जाता है। विमान को पहले लीबिया और बाद में युगांडा उतारा गया था। इजराइल ने इसका जवाब ऑपरेशन थंडरबोल्ट से दिया था, जो सफल रहा। इजराइल को ऑपरेशन में अपने लेफ्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू को खोना पड़ा था। जिनकी मौत का बदला लेने के लिए वाडी को खत्म करने का संकल्प लिया गया।
Unlike you, I don’t care about Palestinians religion, because I respect and defend Christian Palestinian as well as Muslims.
George Habash (may God have mercy on his soul) Wadie Haddad, and Atallah Hanna are Christians and proud figures of Palestinian Nationalism. 🇵🇸 https://t.co/Eo8n9fr6Gv pic.twitter.com/SbcGhs9PJZ
— ⚔️🏴☠️🇵🇸 (@Shay_Cormac__) June 12, 2024
जहर के कारण कई दिन नहीं लगी भूख
'एजेंट सैडनेस' नाम के एजेंट को इस काम की जिम्मेदारी दी गई थी। एजेंट ने किसी तरह जहरीला पेस्ट हद्दाद तक पहुंचा दिया। जिसके इस्तेमाल से वह बीमार हो गया था। इराकी डॉक्टरों को भी एक बार समझ नहीं आया था। वाडी को कई दिन तक भूख नहीं लगी और उसके पेट में ऐंठन हो गई थी। यासिर अराफात की कोशिशों के बाद उसे बर्लिन ले जाया गया था। जहां डॉक्टरों ने मशक्कत के बाद धीमे जहर का खुलासा किया था। 29 मार्च 1978 को वाडी ने दम तोड़ दिया था। वाडी की हत्या का सच सामने आने में 3 दशक लगे थे। मोसाद को दुनिया की अच्छी एजेंसियों में शुमार किया जाता है। जिसमें 7 हजार एजेंट हैं। इसका वार्षिक बजट 3 बिलियन डॉलर (2,51,30,20,50,000 रुपये) है।
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