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17000 फीट ऊंचाई, अचानक जहाज का इंजन बंद, तेजी से नीचे आया और खेत में बने गड्ढे में गिरा; मारे गए 166 लोग

Today History in Hindi: आज के दिन 44 साल पहले भीषण विमान हादसा हुआ था। जहाज हजारों फीट की ऊंचाई से नीचे गिरा और 166 लोग जिंदा जलकर मर गए। जहाज अचानक आसमान में ही रुक गया था। आइए जानते हैं कि कब और कैसे हुआ भीषण हादसा?
07:09 AM Jul 08, 2024 IST | Khushbu Goyal
17000 फीट ऊंचाई  अचानक जहाज का इंजन बंद  तेजी से नीचे आया और खेत में बने गड्ढे में गिरा  मारे गए 166 लोग
Aeroflot Flight 4225 Crash

Aeroflot Flight 4225 Crash Memoir: डोमेस्टिक फ्लाइट थी, जहाज ने उड़ान भरी ही थी कि 17000 फीट की ऊंचाई पर अचानक जहाज की स्पीड कम हो गई और सभी इंजन बंद हो गए। इसके बाद जहाज मुंह के बल तेजी से नीचे आया। गर्म हवाओं के दबाव से उसमें आग लग गई और खेत की जमीन से टकराकर गड्ढे में गिर गया। हादसे में जहाज में सवार सभी 166 लोग जिंदा जलकर मर गए। हादसास्थल पर जहाज का मलबा, जली हुई लाशें और जला हुआ सामान मिला। सोवियत विमानन बोर्ड ने हादसे की जांच की तो पता चला कि हादसा विंडशीयर के कारण हुआ। पायलट ने कोई गलती नहीं की थी।

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गर्म हवाओं के दबाव से बंद हुए इंजन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हादसा आज से 44 साल पहले कजाकिस्तान में हुआ था। 8 जुलाई 1980 को एअरोफ्लोत फ्लाइट 4225 ने टुपोलेव TU-154बी-2 में उड़ान भरी थी। अल्मा अता एयरपोर्ट (अब अल्माटी) से टेकऑफ हुई फ्लाइट को सिम्फरोपोल एयरपोर्ट पर लैंड होना था। अल्मा अता में भीषण गर्मी पड़ रही थी और लू के थपेड़ों से लोग परेशान थे। जहाज अपनी पहली ऊंचाई पर गया ही थी कि चढ़ाई के दौरान गर्म हवाओं के दबाव से उसकी स्पीड अचानक कम हो गई। इसके कारण हवाई जहाज एयरपोर्ट से 5 किलोमीटर (3.1 मील; 2.7 नॉटिकल मील) से भी कम दूरी पर अचानक आसमान में ही रुक गया।

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हादसे का कारण गर्म हवाओं को माना गया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही जहाज रुका, वह नाक के बल नीचे की ओर जाने लगा। पायलट ने उसे कंट्रोल करने की काफी कोशिश की, लेकिन वह एक गांव में बने खेत में गिर गया। जहाज में आग लगी और उसमें सवार 156 पैसेंजर्स और 10 क्रू मेंबर्स मारे गए। यह विमान हादसा कजाकिस्तान के इतिहास का सबसे भीषण विमान हादसा था। सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिए, लेकिन हादसे का कारण पायलट की गलती, टेक्निकल फॉल्ट या कोई धमाका नहीं था, बल्कि गर्मी के मौसम में गर्म हवाओं के कारण जहाज क्रैश हो गया। हादसे में मारे गए लोगों के अवशेष उनके परिजनों को DNA टेस्ट के बाद सौंपे गए।

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