19000 फीट ऊंचाई पर जहाज के ब्रेक फेल, 810KM की स्पीड से पलटियां खाते हुए जमीन पर गिरा, मारे गए 132 पैसेंजर्स
Aeroflot Flight 8641 Crash Memoir: फ्लाइट ने 124 पैसेंजर्स और 8 क्रू मेंबर्स के साथ उड़ान भरी, लेकिन लैंडिंग के समय खराब सिग्नल के कारण ATC अधिकारियों से संपर्क टूट गया। मौसम खराब होने की सूचना नहीं मिल पाई। जब जहाज ने एयरपोर्ट के कंट्रोल एरिया में एंट्री की तो कैप्टन ने ऑटो पायलट ऑन कर दिया, लेकिन वह कुछ ही देर में ऑफ हो गया। कैप्टन ने जहाज को कंट्रोल करने के लिए योक को झटके के साथ खींचा तो वह बाहर निकल गया और जेकस्क्रू फेल हो गया।
जेकस्क्रू फेल होने से इमरजेंसी ब्रेक नहीं लग पाए और जहाज 810 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 19000 फीट की ऊंचाई से पलटियां खाते हुए जमीन पर आ गिरा। जमीन से टकराने के कारण जहाज क्रैश हुआ। आग लगने से टुकड़ों में बंट गया और उसमें सवार सभी 132 पैसेंजर्स मारे गए। हादसा होने का कारण खराब कम्यूनिकेशन, जेकस्क्रू फेल होना और जहाज के डिजाइन में कमी होना माना गया। हादसे को बेलारूस के इतिहास का सबसे घातक विमान हादसा कहा गया।
#OTD in 1982: Aeroflot Flight 8641, a Yak-42, crashes in Mozyr (USSR), all 123 aboard die. Jet broke apart in mid-air after it dived beyond structural limits. Enquiry found an issue with the jackscrew causing a loss of control. Type was grounded until part was redesigned.… pic.twitter.com/FfcxkgLPQ5
— Air Safety #OTD by Francisco Cunha (@OnDisasters) June 27, 2024
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तेज हवा के दबाव से एक ओर झुक गया जहाज
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज से 42 साल पहले 28 जून 1982 को एअरोफ्लोट फ्लाइट 8641 ने सेंट पीटर्सबर्ग एयरपोर्ट से कीव एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी। प्लेन याकोवलेव याक-42 एयरलाइनर था, लेकिन बेलारूस में जहाज हादसे का शिकार हो गया। जहाज में 124 पैसेंजर्स थे, जिनमें 11 बच्चे शामिल थे। कॉकपिट क्रू कैप्टन व्याचेस्लाव निकोलाविच मुसिंस्की, सह-पायलट एलेक्जेंडर सर्गेइविच स्टिगारेव, नेविगेटर ट्रेनी विक्टर इवानोविच केद्रोव और फ्लाइट इंजीनियर निकोलाई सेमेनोविच विनोग्रादोव शामिल थे।
एक पैसेजर के लेट आने के कारण फ्लाइट देरी से टेकऑफ हुई। करीब डेढ़ घंटे के सफर के बाद पायलट ने लगभग 25,500 फीट (7,800 मीटर) की ऊंचाई पर उतरने की परमिशन मांगी, लेकिन ATC अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया। खराब मौसम के कारण तेज हवा के दबाव में जहाज एक ओर झुक गया। कैप्टन ने हादसा होने की आशंका जताते हुए ऑटो पायलट ऑन कर दिया।
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कंट्रोल करते समय जेकस्क्रू बाहर निकल गया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हवा का झटका लगने से ऑटो पायलट ऑफ हो गया। पायलटों ने जहाज को कंट्रोल करने की कोशिश में योक को पीछे खींचा, लेकिन यह तेजी से बाहर निकल गया। इससे जहाज 35 डिग्री के कोण पर बाईं ओर लुढ़क गया और 50 डिग्री के एंगल पर पलटियां खाने लगा। इसके बाद जहाज 5,700 मीटर (18,700 फीट) की ऊंचाई से 810 किलोमीटर प्रति घंटे (440 नॉट; 500 मील प्रति घंटे) की स्पीड से जमीन पर आ गिरा।
जहाज का मलबा और सवारियों की लाशें वर्बाविची गांव के बाहरी इलाके में मिलीं, जो जिला नारूलिया से 10 किलोमीटर (6.2 मील) दूर दक्षिण-पूर्व में है। हादसे का कारण जहाज के जेकस्क्रू के फेलियर को माना गया। जेकस्क्रू के डिजाइन पर हस्ताक्षर करने वाले 3 इंजीनियरों को दोषी ठहराया गया। हादसे से सबक लेते हुए कंपनी ने जेकस्क्रू का डिजाइन बदलने तक याक-42 के जहाजों को पैसेंजर सर्विस से हटा लिया।वा से हटा लिया गया था।