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35000 फीट ऊंचाई, जहाज का कंट्रोल छूटा, 700 मील की स्पीड से नीचे आकर पहाड़ी से टकराया; 94 पैसेंजरों ने गंवाई जान

Today History in Hindi: भारत में आज के दिन भीषण विमान हादसा हुआ था। पहाड़ी से टकराकर इंटरनेशनल फ्लाइट क्रैश हुई और 94 लोग मारे गए। हादसा पायलट की गलती के कारण हुआ था, आइए जानते हैं कि कब और कैसे क्रैश हुआ था जहाज?
09:26 AM Jul 07, 2024 IST | Khushbu Goyal
35000 फीट ऊंचाई  जहाज का कंट्रोल छूटा  700 मील की स्पीड से नीचे आकर पहाड़ी से टकराया  94 पैसेंजरों ने गंवाई जान
हादसे की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था।

Alitalia Flight 771 Crash Memoir: भारत देश के इतिहास में एक भीषण विमान हादसे की दर्दनाक कहानी दर्ज है, जो आज से 62 साल पहले हुआ था। हादसा महाराष्ट्र के जुनार में हुआ था। 35 हजार फीट की ऊंचाई से जहाज तेजी से नीचे आकर पहाड़ी से टकरा गया। टक्कर लगते ही जहाज क्रैश हो गया। हादसे में जहाज में सवार सभी 94 लोग मारे गए।

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हादसे का कारण मौसम की जानकारी को गलत समझना, पायलट का जहाज से कंट्रोल छूटना और उसकी स्पीड का अचानक बढ़ जाना, जिसे पायलट कंट्रोल नहीं कर पाए। पायलट को उस रास्ते की जानकारी भी नहीं थी, जहां पर उसे जहाज की इमरजेंसी लैंडिंग करानी थी। 7 जुलाई 1962 को सुबह के करीब 6:40 बजे महाराष्ट्र के बॉम्बे (मुंबई) में लगभग 84 किलोमीटर (52 मील) उत्तर-पूर्व में हादसा हुआ था। पहाड़ी की तलहटी में मलबा और लाशें मिली थीं।

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पायलट को बैंकॉक से बॉम्बे का रास्ता मालूम नहीं था

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एलीटालिया फ्लाइट 771 ने मल्टी-लेग डगलस डीसी-8-43 प्लेन में उड़ान भरी थी। फ्लाइट ऑस्ट्रेलिया के सिडनी एयरपोर्ट से टेकऑफ हुई थी और डरबिन, बैंकॉक, बॉम्बे, कराची और तेहरान होते हुए इटली के रोम एयरपोर्ट पर लैंड होनी थी। प्लेन में 85 पैसेंजर और 9 क्रू मेंबर्स थे। कैप्टन लुइगी क्वाट्रिन 1939 से पायलट थे और रोम से बॉम्बे तक कई बार आए गए, लेकिन बैंकॉक के रास्ते कभी नहीं गए थे, इसलिए उन्हें बैंकॉक से बॉम्बे का रूट नहीं पता था।

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सह-पायलट उगो अर्कांगेली साल 1956 से पायलट थे। बाकी 6 सदस्य फ्लाइट अटेंडेंट थे। कैप्टन और सह-पायलट दोनों ही ट्रेंड नेविगेटर थे। सिडनी में 45 यात्रियों के साथ टेकऑफ हुई फ्लाइट ने डरबिन और सिंगापुर से पैसेंजर लिए। बैंकॉक से रवाना हुई, लेकिन बैंकॉक से बॉम्बे जाते समय पायलट रास्ता भटक गए, जिस कारण हादसा हो गया। रिकॉर्ड के अनुसार, 98 पैसेंजर होने चाहिए थे, लेकिन लोड शीट पर पायलट-इन-कमांड द्वारा हस्ताक्षर नहीं थे, जो एलीटालिया ऑपरेशंस मैनुअल का उल्लंघन था।

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इस तरह लैंडिंग के समय क्रैश हुआ जहाज

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पायलट ने बॉम्बे फ्लाइट इंफॉर्मेशन सेंटर से संपर्क किया और मौसम का पूर्वानुमान मांगा। जहाज 35000 फीट (11,000 मीटर) की ऊंचाई पर था। बॉम्बे का मौसम साफ था, इसलिए पायलट ने बॉम्बे एप्रोच फ्रीक्वेंसी पर स्विच किया और औरंगाबाद में 20000 फीट (6,100 मीटर) ऊंचाई पर उतरने की परमिशन मांगी गई। बॉम्बे में लैंडिंग से 20 मिनट पहले जहाज 35,000 से 20,000 फीट (10,700 से 6,100 मीटर) तक आया।

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को रनवे 27 पर लैंडिंग कराने की परमिशन मांगी गई। जहाज 5000 फीट की ऊंचाई पर था। 3600 फीट (1,100 मीटर) की ऊंचाई पर आकर अचानक संपर्क टूट गया। पायलट रनवे को नेविगेट नहीं कर पाया और न ही उसे रनवे क्लीयर होने की जानकारी मिली पाई। रास्ता भटकने से जहाज दवंद्याची पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया।

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