35000 फीट ऊंचाई, जहाज का कंट्रोल छूटा, 700 मील की स्पीड से नीचे आकर पहाड़ी से टकराया; 94 पैसेंजरों ने गंवाई जान
Alitalia Flight 771 Crash Memoir: भारत देश के इतिहास में एक भीषण विमान हादसे की दर्दनाक कहानी दर्ज है, जो आज से 62 साल पहले हुआ था। हादसा महाराष्ट्र के जुनार में हुआ था। 35 हजार फीट की ऊंचाई से जहाज तेजी से नीचे आकर पहाड़ी से टकरा गया। टक्कर लगते ही जहाज क्रैश हो गया। हादसे में जहाज में सवार सभी 94 लोग मारे गए।
हादसे का कारण मौसम की जानकारी को गलत समझना, पायलट का जहाज से कंट्रोल छूटना और उसकी स्पीड का अचानक बढ़ जाना, जिसे पायलट कंट्रोल नहीं कर पाए। पायलट को उस रास्ते की जानकारी भी नहीं थी, जहां पर उसे जहाज की इमरजेंसी लैंडिंग करानी थी। 7 जुलाई 1962 को सुबह के करीब 6:40 बजे महाराष्ट्र के बॉम्बे (मुंबई) में लगभग 84 किलोमीटर (52 मील) उत्तर-पूर्व में हादसा हुआ था। पहाड़ी की तलहटी में मलबा और लाशें मिली थीं।
#OTD in 1962: Alitalia Flight 771, a DC-8, crashes in Junnar (India). All 94 aboard. Jet impacted high terrain on approach at night. Report pointed to a navigation error leading to a premature descent. Factors: Incorrect use of navaids, breach of MSA, route inexperience, others. pic.twitter.com/UAZzF9XxIv
— Air Safety #OTD by Francisco Cunha (@OnDisasters) July 6, 2021
पायलट को बैंकॉक से बॉम्बे का रास्ता मालूम नहीं था
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एलीटालिया फ्लाइट 771 ने मल्टी-लेग डगलस डीसी-8-43 प्लेन में उड़ान भरी थी। फ्लाइट ऑस्ट्रेलिया के सिडनी एयरपोर्ट से टेकऑफ हुई थी और डरबिन, बैंकॉक, बॉम्बे, कराची और तेहरान होते हुए इटली के रोम एयरपोर्ट पर लैंड होनी थी। प्लेन में 85 पैसेंजर और 9 क्रू मेंबर्स थे। कैप्टन लुइगी क्वाट्रिन 1939 से पायलट थे और रोम से बॉम्बे तक कई बार आए गए, लेकिन बैंकॉक के रास्ते कभी नहीं गए थे, इसलिए उन्हें बैंकॉक से बॉम्बे का रूट नहीं पता था।
सह-पायलट उगो अर्कांगेली साल 1956 से पायलट थे। बाकी 6 सदस्य फ्लाइट अटेंडेंट थे। कैप्टन और सह-पायलट दोनों ही ट्रेंड नेविगेटर थे। सिडनी में 45 यात्रियों के साथ टेकऑफ हुई फ्लाइट ने डरबिन और सिंगापुर से पैसेंजर लिए। बैंकॉक से रवाना हुई, लेकिन बैंकॉक से बॉम्बे जाते समय पायलट रास्ता भटक गए, जिस कारण हादसा हो गया। रिकॉर्ड के अनुसार, 98 पैसेंजर होने चाहिए थे, लेकिन लोड शीट पर पायलट-इन-कमांड द्वारा हस्ताक्षर नहीं थे, जो एलीटालिया ऑपरेशंस मैनुअल का उल्लंघन था।
इस तरह लैंडिंग के समय क्रैश हुआ जहाज
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पायलट ने बॉम्बे फ्लाइट इंफॉर्मेशन सेंटर से संपर्क किया और मौसम का पूर्वानुमान मांगा। जहाज 35000 फीट (11,000 मीटर) की ऊंचाई पर था। बॉम्बे का मौसम साफ था, इसलिए पायलट ने बॉम्बे एप्रोच फ्रीक्वेंसी पर स्विच किया और औरंगाबाद में 20000 फीट (6,100 मीटर) ऊंचाई पर उतरने की परमिशन मांगी गई। बॉम्बे में लैंडिंग से 20 मिनट पहले जहाज 35,000 से 20,000 फीट (10,700 से 6,100 मीटर) तक आया।
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को रनवे 27 पर लैंडिंग कराने की परमिशन मांगी गई। जहाज 5000 फीट की ऊंचाई पर था। 3600 फीट (1,100 मीटर) की ऊंचाई पर आकर अचानक संपर्क टूट गया। पायलट रनवे को नेविगेट नहीं कर पाया और न ही उसे रनवे क्लीयर होने की जानकारी मिली पाई। रास्ता भटकने से जहाज दवंद्याची पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया।
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