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कर्मचारियों में क्यों बढ़ी Sick Leave की डिमांड; सामने आई ये वजह

World news in Hindi: वैश्विक स्तर पर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। आजकल कर्मचारी बीमारी को लेकर ज्यादा छुट्टियों की डिमांड कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अवसाद और तनाव के चलते कर्मचारी डिमांड अधिक कर रहे हैं। हाल ही में एक कंपनी ने चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। जिसमें 17 फीसदी कर्मचारियों ने बीमारी के बाद छुट्टी मांगी है।
09:00 PM Oct 01, 2024 IST | Parmod chaudhary
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World Latest News: कोरोना महामारी के बाद कर्मचारियों में हेल्थ से जुड़ीं चिंताओं, मानसिक स्वास्थ्य और खराब कामकाजी परिस्थितियों (poor working conditions) के कारण दुनियाभर में सिक लीव की डिमांड बढ़ रही है। हाल ही में चौंकाने वाली बात जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सामने आई है। यहां के टेस्ला प्लांट में 17 फीसदी कर्मचारियों ने एक ही महीने में सिक लीव की डिमांड कर डाली। जिसके बाद कंपनी ने कर्मचारियों को काम पर लाने के लिए सख्ती बरती। बर्नआउट, तनाव और वर्किंग में असंतुलन के कारण ऐसा हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कंपनी प्रबंधन कर्मचारियों के हित में फैसले लेकर, मौजूदा परिस्थितियों में सुधार करके और काम करने के तरीकों में बदलाव करके सिक लीव की डिमांड को कम कर सकता है। सिक लीव की बढ़ रही डिमांड सभी उद्योगों के लिए चिंता का विषय है।

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हाल में काफी बढ़ी छुट्टी की डिमांड

कभी-कभार इसकी डिमांड करना पेशेवर कर्मचारी की पहचान मानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में सिक लीव की डिमांड काफी बढ़ी है। टेस्ला की बर्लिन गिगाफैक्ट्री में अगस्त 2023 में 12 हजार में से 2040 कर्मचारियों ने सिक लीव की डिमांड की थी। इसके बाद कंपनी ने अपने नियमों को कठोर किया। जिन लोगों ने छुट्टी मांगी, उनकी घर जाकर भी जांच की गई। फैक्ट्री मैनेजर आंद्रे थिएरिग के अनुसार इस तरह विजिट करना आसान नहीं है। लेकिन कर्मचारियों के बीच कार्य नैतिकता (Work Ethics) को सुदृढ़ करना उनका उद्देश्य है। यह टेस्ला तक ही सीमित नहीं है, दूसरी कई कंपनियों में भी ऐसी स्थिति है।

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बर्नआउट और मानसिक दिक्कतों को लेकर कर्मचारी छुट्टी की डिमांड कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2012 और 2022 के बीच जर्मनी में काफी कर्मियों ने सिक लीव की डिमांड की है। 2012-2014 में 39793, 2016-2018 में 46708 और 2020-2022 की अवधि में 50721 कर्मियों ने सिक लीव की डिमांड की। कुल कर्मियों में से क्रमश: 3.6%, 3.8% और 3.6% ने सिक लीव की डिमांड की। फरवरी 2023 में आई रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जिसमें 40 फीसदी कर्मियों ने बर्नआउट के कारण सिक लीव लेने की बात स्वीकारी है। यूके में लगभग 2009 कर्मचारियों ने ऐसा किया। 30% कर्मियों ने बीमार होने के बजाय तनाव के कारण छुट्टी लेने की बात स्वीकार की है।

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नए कर्मचारी अधिक कर रहे डिमांड

बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 की तुलना में 2023 में अमेरिका में 55% कर्मियों ने सिक लीव की डिमांड की। जिसमें 35 या इससे कम उम्र के अधिक कर्मचारी शामिल थे। जिन्होंने पुराने कर्मियों के बजाय अधिक छुट्टियां लीं। भारत की बात करें तो मई 2024 में एयर इंडिया एक्सप्रेस के लगभग 300 कर्मचारियों ने सिक लीव की डिमांड कर फोन बंद किए थे। इसके चलते 30 केबिन क्रू मेंबर्स को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। जिसके बाद स्ट्राइक हुई और एक ही दिन में 85 उड़ानें रद्द हो गईं। वाल्टन फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 42 फीसदी कर्मियों में निराशा और अवसाद है। जबकि पुरानी पीढ़ी के केवल 23 फीसदी कर्मचारी ही यह सब महसूस करते थे।

अचानक छुट्टियों की डिमांड बढ़ने के कारण

यूथ इस समय काम के बजाय अपने स्वार्थ को महत्व दे रहे हैं। Self Care ने नाम पर छुट्टी की डिमांड की जाती है। यूथ पुरानी पीढ़ी के कर्मचारियों के बजाय अपने परिवार और व्यक्तिगत मामलों को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। खराब कार्य स्थिति भी अधिक छुट्टी लेने का कारण है। टेस्ला के बर्लिन प्लांट में कार यूनियन ने चौंकाने वाला दावा किया था। जिसमें कर्मचारियों से अत्यधिक काम लिए जाने और असुरक्षित परिस्थितियों को जिम्मेदार बताया गया था। अगर कर्मचारी ऑफिस में अत्यधिक बोझ लेता है या असुरक्षित महसूस करता है तो बीमार होने के चांस ज्यादा होते हैं।

कई कर्मचारी बर्नआउट (उच्च तनाव) से जूझ रहे हैं। वे काम और घर की परिस्थितियों के बीच बैलेंस नहीं बना पा रहे। जिसके कारण सिक लीव की डिमांड अधिक की जाती है। नियोक्ता इनकी छुट्टियों को कम तो कर सकते हैं, लेकिन पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती। कर्मचारी कल्याण (Employee Welfare) के लिए कुछ प्लानिंग की जा सकती है।

कैसे कम होगी लीव की डिमांड?

हेल्पफुल माहौल ऑफिस में होगा तो कर्मचारी कम लीव की डिमांड करेंगे। अगर कर्मचारियों के वर्कलोड को मैनेज किया जाएगा, स्वस्थ और सुरक्षित माहौल ऑफिस में मिलेगा, काम में लचीलापन होगा तो कर्मचारी काम को तवज्जो देंगे। वहीं, कोरोना ने सिद्ध किया है कि दूर रहकर भी अच्छा काम किया जा सकता है। अगर वर्क फ्रॉम होम जैसे विकल्प कर्मचारियों को मिलेंगे तो लीव कम लेंगे।

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