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चाय से लेकर चावल तक... खाने-पीने की इन चीजों में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक; कैसे रहें सेफ?

Food Items Microplastics: अगर आपको लगता है कि खाने के जरिए माइक्रोप्लास्टिक्स केवल मांसाहारी या सी फूड खाने वाले खाते हैं तो आप गलत हैं। शाकाहारी लोग भी कुछ खास सेफ नहीं हैं। कई ऐसे फूड आइटम्स हैं जो शाकाहारी लोग भी रेगुलर तौर पर खाते-पीते हैं जिनमें माइक्रोप्लास्टिक्स का लेवल बहुत ज्यादा होता है।
07:13 PM Jul 24, 2024 IST | Gaurav Pandey
चाय से लेकर चावल तक    खाने पीने की इन चीजों में सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक  कैसे रहें सेफ
Representative Image (Pixabay)

Microplastics In Food Items : कोई भी व्यक्ति लंच या डिनर में प्लास्टिक का स्वाद नहीं लेना चाहेगा। लेकिन, असलियत यह है कि रोजाना खाने-पीने के लिए हम जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं उनमें से कई में माइक्रोप्लास्टिक्स का लेवल बहुत ज्यादा होता है। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले ये तत्व प्लास्टिक के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जो आराम से हमारी फूड चेन का हिस्सा बन जाते हैं। इनका हमारी हेल्थ पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है और पर्यावरण पर भी। आइए जानते हैं कि ऐसे फूड आइटम्स कौन से हैं जो माइक्रोप्लास्टिक्स को हमारे शरीर में पहुंचाते हैं और इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है।

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हाल ही में आई एक एनवायरनमेंटल रिसर्च स्टडी में बताया गया है कि जानवरों और सब्जियों से मिलने वाले प्रोटीन के सैंपल्स की जांच में पता चला कि इनमें से 90 प्रतिशत में माइक्रोप्लास्टिक्स थे। इनका साइज 5 मिलीमीटर से 1 माइक्रोमीटर तक था। इसका मतलब यह है कि शाकाहारी लोग भी लगातार माइक्रोप्लास्टिक्स का सेवन कर रहे हैं। खाने-पीने वाली उन चीजों के बारे में जानकर आपका मुंह खुला रह जाएगा, जिनमें माइक्रोप्लास्टिक्स का मौजूद होना आम बात हो गया है। इन चीजों में नमक से लेकर चाय और चावल से लेकर पानी तक कई ऐसे फूड आइटम्स मौजूद हैं जिन्हें हम बिना ध्यान दिए रोज ही खाते-पीते हैं।

चावल

Rice

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दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी के लिए चावल एक अहम भोजन है। खास तौर पर एशिया और अफ्रीका के लोगों के बीच यह काफी लोकप्रिय है। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की एक स्टडी के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 100 ग्राम चावल खा रहा है तो वह 3 से 4 मिलीग्राम माइक्रोप्लास्टिक्स का सेवन भी कर रहा है। इंस्टैंट राइस की स्थिति और खराब है। इसके हर 100 ग्राम में 13 मिलीग्राम तक माइक्रोप्लास्टिक्स होते हैं। ऐसे में सेफ रहने का एक तरीका यह है कि चावल को पकाने से पहले अच्छी तरह से खंगाल लिया जाए। इससे 40 प्रतिशत तक माइक्रोप्लास्टिक्स ऐसे ही दूर हो जाते हैं।

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पानी

Water

अगर आपको लगता है कि बोतलों में मिलने वाले मिनरल वॉटर में माइक्रोप्लॉस्टिक्स होने की संभावना सामान्य पानी से ज्यादा होती है, तो आप सही हैं। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक बोतल बंद पानी की एक बोतल में औसतन 2.40 लाख प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। इनमें कुछ टुकड़े तो इतने छोटे होते हैं जिन्हें आंख तो दूर माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। ऐसे में बोतल बंद पानी से परहेज करना ही बेहतर ऑप्शन दिखता है। क्यों, अब गांव में नल से निकलता हुआ पानी मॉडर्न मिनरल वॉटर से बेहतर लगने लगा न?

नमक

Pink Salt

हम बात कर रहे हैं हिमालयन पिंक साल्ट की जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में खूब पाया जाता है। हालांकि, दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसका प्रोडक्शन होता है। इसकी कीमत सामान्य नमक से ज्यादा होती है और इसे इस तरह से प्रचारित किया जाता है जैसे यह हेल्थ के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन, असलियत उससे अलग हो सकती है जो हमें दिखता है। 2023 की एक स्टडी के अनुसार हिमालयन पिंक लास्ट में तुलनात्मक रूप से अन्य नमक के मुकाबले ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक्स होते हैं। स्टडी के अनुसार समुद्री नमक के मुकाबले हिमालयन साल्ट और ब्लैक साल्ट में ज्यादा प्लास्टिक होती है।

चाय

Tea

ऐसे लोग बहुत ही कम होंगे जो चाय को मना कर पाते होंगे। चाय भी अलग-अलग तरह की होती हैं और इन्हें बनाने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं। अगर आप टी-बैग का इस्तेमाल करते हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है। आम चाय के मुकाबले टी-बैग वाली चाय पीने वाले लोग इसकी चुस्की के साथ स्वाद से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक्स ले रहे हैं। अगर आप टी-बैग वाली चाय के साथ चीनी भी ले रहे हैं तो आपके शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स के जाने का खतरा और ज्यादा हो जाता है। ऐसे में इससे बचने के लिए नॉर्मल तरीके से बनने वाली चाय ज्यादा बेहतर साबित हो सकती है।

सेब

Apple

पुरानी कहावत है कि रोज एक सेब खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए। लेकिन, अब तस्वीर बदल रही है। आपको हेल्दी रखने वाला सेब ही आपको बीमार कर सकता है। 2021 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार रिसर्चर्स को पता चला था कि पेड़ अपनी जड़ों से माइक्रोप्लास्टिक्स को अब्जॉर्ब करते हैं और इसे फलों, पत्तियों और तने में ट्रांसफर कर देते हैं। द एनवायरनमेंटल रिसर्च स्टडी में पता चला था कि माइक्रोप्लास्टिक्स के मामले में सेब सबसे ज्यादा कंटेमिनेटेड फल है। एक ग्राम सेब में माइक्रोप्लास्टिक्स के 1 लाख से ज्यादा टुकड़े हो सकते हैं। सेब को अच्छे से धोकर खाना बेहतर हो सकता है।

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