Elephant's Foot : दुनिया का सबसे खतरनाक पदार्थ, सिर्फ 5 मिनट देखने भर से जा सकती है जान
World's Most Dangerous Object : सुनने में भले ही यह अविश्वसनीय लगे लेकिन एक ऐसा पदार्थ है जिसे केवल देखने भर से व्यक्ति की मौत हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति एक कमरे में इस पदार्थ के साथ केवल 5 मिनट गुजारता है तो महज 2 दिन के अंदर उसकी जान चली जाएगी। इस पदार्थ को Elephant's Foot के नाम से जाना जाता है। यह शर्नोबिल न्यूक्लियर रिएक्टर के पिघल चुके कोर से बना ठोस हो चुका लावा है जिसकी चौड़ाई करीब 2 मीटर है। इससे निकलने वाला रेडिएशन बेहद इंटेंस है, इसी वजह से इसकी काफी कम तस्वीरें ली जा सकी हैं।
The Elephant's Foot, located in the depths of the Chernobyl nuclear power plant, was once considered the most radioactive object on Earth. ☢️ This solidified mass of nuclear fuel, concrete, sand, and other materials was formed during the disastrous meltdown in 1986. 💥 pic.twitter.com/Sat8iVrQkW
— Fun_Facts (@Fun_Facts4Life) January 3, 2024
शर्नोबिल आपदा की शुरुआथ 26 अप्रैल 1986 में हुई थी जब इसके चार नंबर पावर प्लांट में विस्फोट हुआ था। इस भयावह घटना के 40 साल बाद भी इसका असर बना हुआ है। न्यूक्लियर रिएक्टर के जिस कमरे में यह एलीफेंट्स फुट है उस कमरे में जाना आज भी मौत को दावत देने जैसा है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खतरा कई सदियों तक बना रह सकता है। जब विस्फोट हुआ था तब इमरजेंसी शटडाउन प्रोसीजर फेल होने से कोर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था। रिएक्शन धीमी करने के लिए जब तक कंट्रोल रॉड को कोर में डाला गया तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
The “Elephant's Foot” in Chernobyl - the most dangerous object on Earth. Will remain so for the next 100,00 years. 300 seconds of exposure and you will be dead in 2 days. pic.twitter.com/oCQu649ccv
— Creepy.org (@creepydotorg) April 7, 2024
चैंबर बना दुनिया की सबसे खतरनाक जगह
जल्द ही कूलिंग वाटर भाप में बदल गया और प्रेशर इतना बढ़ गया कि रिएक्टर में विस्फोट हो गया। इसके बाद एक इमरजेंसी टीम ने रेडिएशन को कंटेन करने का काम शुरू किया। इस दौरान उन्हें रिएक्टर के नीचे स्थित एक चैंबर का पता चला जो दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक बन चुका था। बता दें कि रिएक्टर इतना गर्म हो गया था कि कोर की सुरक्षा के लिए लगी स्टील और कंक्रीट पिघल कर रेडियोएक्टिव लावा में बदल गए थे। रेत, कंक्रीट और न्यूक्लियर फ्यूल का यह मिक्सचर ठंडा होने के बाद ठोस होकर एक नए मैटीरियल 'कोरियम' में बदल गया था।
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