फ्रूट बेचता था, किडनी बेचने लगा...अब जेल में कटेगी जिंदगी, सुनीता को मिला इंसाफ तो फूट-फूट कर रोई
uzaffarpur Kidney Case Verdict: बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर किडनी कांड के दोषी डॉक्टर पवन कुमार को आज कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई, वहीं जिंदगी बर्बाद होने का दुख झेल रही पीड़िता सुनीता सजा का ऐलान होते ही फूट-फूट कर रोने लगी। पौने 2 साल से उसके दिल में छिपा दर्द आंसू बनकर छलक गया, क्योंकि पवन कुमार ने उस गरीब महिला की जिंदगी भगवान भरोसे छोड़ दी है। किडनी कांड ने उसे ऐसा दर्द दिया है कि उसके परिजन भी साथ छोड़ गए। पति ने भी लड़ाई झगड़े किए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
भगवान ने उसकी सुन ली और उसके साथ गलत करने वाले को सजा मिली। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल की विशेष कोर्ट (SC/ST एक्ट) ने पवन कुमार को 7 साल जेल की सजा सुनाई है। 18 हजार का जुर्माना भी लगाया है। दर्दनाक आपबीती बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरियारपुर के सकरा थाना के तहत आने वाले गांव बाजी राउत की सुनीता की है, जिसकी दोनों किडनियां निकालकर पवन कुमार ने बेच दी थी। सुनीता की जिंदगी आज डायलिसिस के सहारे चल रही है, हालांकि वह किडनी ट्रांसप्लांट करानी चाहती है।
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साल 2022 का मामला, दोनों किडनियां निकालीं
विशेष लोक अभियोजक (SC/ST एक्ट) जयमंगल प्रसाद ने बताया कि किडनी कांड का मुख्य आरोपी डॉ. आरके सिंह फरार है। उसके विरुद्ध कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया है। बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लीनिक में पेट में दर्द की शिकायत पर 11 जुलाई 2022 को सुनीता का उपचार शुरू हुआ था। गर्भाशय में कमी बताते हुए पवन ने उसे निकालने के लिए ऑपरेशन कराने की सलाह दी। इसके लिए उसने 20 हजार रुपये जमा कराए गए थे।
इसके बाद 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जिस क्लीनिक में ऑपरेशन हुआ, उसका डॉक्टर पवन कुमार था, जो पुलिस जांच में झोलाछाप डॉक्टर निकला। ऑपरेशन के बाद 5 सितंबर 2022 को सुनीता की तबियत खराब हुई तो उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया। 7 सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई हैं। इस वजह से उसकी डायलिसिस करनी पड़ी, जो आज तक चल रही है।
फ्रूट बेचता था पवन, किसी के कहने पर बन गया डॉक्टर
मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। वहीं पुलिस जांच में पता चला कि पवन कुमार के पास डॉक्टरी की डिग्री नहीं थी। उसके पास MBBS की डिग्री नहीं थी। पवन का फल बेचने का बिजनेस करता था, लेकिन ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में एक झोलाछाप डॉक्टर आरके सिंह के कॉन्टैक्ट में आया। उसने पवन से कहा कि क्लिनिक खोल लो, डॉक्टर रख लो, बहुत पैसा है। फिर पवन और आरके सिंह ने क्लिनिक खोल लिया। फर्जी डॉक्टर बन गए, मरीजों को देखने और ऑपरेशन करने की प्रैक्टिस करने लगी।
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