चायवाला PM बन सकता, सिलेंडर वाला MP क्यों नहीं? कौन हैं Chhote Lal, 24 साल से लड़ रहे चुनाव, इस बार भी ठोक रहे ताल
Chhote Lal Independent Candidate Profile: देश में 5 साल में एक बार होने वाले लोकसभा चुनाव में जहां राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमाते हैं, वहीं कई लोग बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी रण में उतरते है। ये लोग किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होते, बस देशसेवा करने का जज्बा दिल में लिए चुनाव लड़ते हैं। इस बार भी सामाजिक विकास की दशा और दिशा बदलने का सपना लेकर कई लोग चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं।
आज हम आपको ऐसे ही एक चुनाव उम्मीदवार के बारे में बताते हैं, जो घर-घर जाकर सिलेंडर डिलीवर करते हैं, लेकिन पिछले 24 साल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कभी जीते नहीं। इस बार भी उन्होंने निर्दलीय नामांकन भरा है। यह उनका 5वां चुनाव है। कभी जीतते नहीं, फिर भी चुनाव लड़ रहे क्यों? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि चायवाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो सिलेंडर वाला सांसद क्यों नहीं बन सकता?
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कौन हैं छोटे लाल महतो?
बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक किशनगंज लोकसभा सीट पर दूसरे फेज में 26 अप्रैल को वोटिंग होनी हैं। छोटे लाल मूलरूप से किशनगंज के ही रहने वाले हैं। वे सिलेंडर डिलीवरी का काम करते हैं और साल 2004 से विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ते आ रहे हैं। हालांकि उनके पास न दफ्तर है, न पैसा और न ही समर्थकों की भीड़, फिर भी वे चुनाव लड़ते हैं। नगर निकाय चुनाव में भी ताल ठोक चुके हैं।
23 साल की उम्र में साल 2000 में विधानसभा चुनाव नामांकन भरा था, जो उम्र कम होने के कारण रिजेक्ट हो गया था, लेकिन हिम्मत नहीं हारे। उसके बाद से वे लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि उन्हें हर बार हजारों वोट मिलते हैं, लेकिन चुनाव आज तक नहीं जीत पाए, फिर भी कहते हैं कि कभी तो किस्मत चमकेगी। छोटे लाल पूर्व केंद्रीय मंत्री सैय्यद शाहनवाज हुसैन, तस्लीमुद्दीन समेत कई दिग्गज नेताओं के खिलाफ चुनावी रण में दावेदारी ठोक चुके हैं।
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परिवार वाले चंदा जुटाने में मदद करते
छोटे लाल बताते हैं कि 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्हें 11479 वोट मिले थे और वे छठे नंबर पर थे। 2009 में 5563 वोट लेकर 9वें नंबर पर, 2014 में 11392 वोट लेकर 9वें नंबर पर, 2019 में 8700 वोट लेकर 9वें नंबर पर रहे। वे जानते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए पैसा चाहिए, लेकिन वे फिर भी चुनावी रण में उतरते हैं। घर-घर जाकर सिलेंडर डिलीवर तो करते ही हैं, साथ में डफली भी लेते हैं और जहां मौका मिलता अपने लिए चुनाव प्रचार कर लेते।
दोस्तों, रिश्तेदारों और जनता से थोड़ा बहुत चंदा मिला जाता। पत्नी मुर्गियां पालती है और पैसे जमा करते देती है। अब तो बच्चे भी ट्यूशन वगैराह पढ़ाकर पैसा जुटा लेते हैं। छोटे लाल कहते हैं कि समाज सेवा करके उन्हें अच्छा लगता है। वे चाहते हैं कि अगर सांसद बन गए तो अपने जैसे लोगों को रोजगार दिलाने के लिए काम करेंगे। भारतीय समाज से गरीबी मिटाने की इच्छा है, ताकि देश विकास हो।
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