Diwali Muhurat 2024: क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग , जानिए इसका सही समय और महत्व
Diwali Muhurat Trading 2024: मुहूर्त ट्रेडिंग एक खास सेशन है, जिसे हिन्दी नववर्ष और दिवाली के समय रखा जाता है। ये एक घंटे का सत्र है, जिसमें मुहूर्त ट्रेडिंग, वित्तीय अवसर को कल्चर से जोड़ा जाता है। बता दें कि मुहूर्त ट्रेडिंग 1950 के दशक में चर्चा में आया था। 1957 में बीएसई और 1992 में एनएसई ने इसे शुरू किया था, जो एक परंपरा की तरह चली आ रही है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
मुहूर्त ट्रेडिंग क्या है?
जैसा कि हम जानते हैं कि दिवाली के समय शेयर मार्केट बंद रहता है, लेकिन मुहूर्त ट्रेडिंग का एक खास सत्र होता है, जो भारतीय निवेशकों के लिए बहुत जरूरी होता है। इस बार का मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन 1 नवंबर को शाम 6 बजे से 7 बजे तक होगा। इस शुक्रवार को बीएसई और एनएसई के मुहूर्त ट्रेडिंग के खुलने से पहले, शाम 5:45 से 6 बजे तक प्री-ओपनिंग सेशन होगा।
इस समय करेंसी, डेरिवेटिव और शेयरों का व्यापार करना शुभ माना जाता है। यहां हम आपको मुहूर्त ट्रेडिंग के बारे में कुछ खास बताएंगे। दिवाली उत्सव और हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत के साथ मेल खाती है। ये एक घंटे की ट्रेडिंग वित्तीय संभावना को सांस्कृतिक महत्व के साथ जोड़ती है।
1950 से चल रही परंपरा
मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन की परंपरा 1950 से चली आ रही है। मगर 1957 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने इसे आधिकारिक रूप से अपनाते हुए संस्थागत बनाया। इसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इस परंपरा का पालन करने का फैसला किया और तीस साल बाद 1992 में मुहूर्त ट्रेडिंग विंडो खोलना शुरू किया।
कई सालों तक निवेशकों ने मुहूर्त ट्रेडिंग का फायदा उठाया और इन सत्रों में बहुत फायदे कमाए। पिछले सत्रह मुहूर्त सेशन में से तेरह में बीएसई सेंसेक्स ने विशेष ट्रेडिंग सेशन को हाई लेवल पर बंद किया है।
2008 का मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन
जहां ग्लोबल लेवल पर वित्तीय संकट चल रहा था और इससे प्रभावित 2008 के मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन के दौरान शेयर मार्केट इंडेक्स में तेज वृद्धि देखी गई। इस सत्र का सबसे बड़ा लाभ 28 अक्टूबर, 2008 को हुआ, जब शेयर मार्केट इंडेक्स लगभग 6% तक बढ़ गया। ऐसा कहा जाता है कि इस खास ट्रेडिंग सत्र के दौरान खरीदे गए शेयर निवेशकों को धन और सफलता देते ही हैं।
अब सवाल उठता है कि ये कैसे काम करता है। मुहूर्त ट्रेडिंग आम तौर पर तब शुरू होती है जब कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति सत्र शुरू करने के लिए विशेष घंटी बजाता है। इक्विटी में निवेश करने के अलावा,, ज्यादातर व्यापारी और इन्वेस्टर्स सेशन के दौरान धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन, शेयर बाजार के एक्सचेंज को फूलों, दीयों और रोशनी से सजाया जाता है।
यह भी पढ़ें - Gold Silver Price: दिवाली पर दिल्ली में सोना इतना महंगा क्यों? 82000 के पार पहुंची कीमत