कंपनियों से वसूल 'टैक्स का पैसा' कर्मचारियों को बांटेंगे, जानें झारखंड सरकार की क्या है योजना?
Jharkhand News: झारखंड सरकार स्विगी, ज़ोमैटो, ओला, उबर और बिग बास्केट जैसे गिग इकॉनमी प्लेटफ़ॉर्म से अतिरिक्त टैक्स वसूलने पर विचार कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार चाहती है कि इन कंपनियों के राज्य में होने वाले कुल कारोबार पर 1 से 2 प्रतिशत सेस लगाया जाए। हालांकि, इस पूरी कवायद का उद्देश्य कंपनियों से वसूलकर अपना खजाना भरना नहीं है, बल्कि गिग प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े कर्मचारियों की भलाई है।
तैयार हो रहा है कानून
हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार की योजना है कि स्विगी और ज़ोमैटो जैसी कंपनियों से बतौर टैक्स वसूली जाने वाली रकम का एक हिस्सा इनसे जुड़े कर्मचारियों के कल्याण पर खर्च किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य श्रम विभाग इससे संबंधित कानून तैयार कर रहा है और जल्द ही इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
यह भी पढ़ें - Uber ने दिया महिलाओं को खास तोहफा! इस शहर में शुरू की ओनली वुमन बाइक राइड
इन 2 राज्यों में व्यवस्था
यदि हेमंत सरकार इस तरह के उपाय करती है, तो झारखंड गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाला देश का तीसरा राज्य बन जायेगा। फिलहाल राजस्थान और कर्नाटक में ही गिग वर्कर्स के लिए ऐसी व्यवस्थाएं हैं। झारखंड सरकार ऐसे कर्मचारियों के कल्याण के लिए एक विस्तृत योजना पर काम कर रही है। इसके तहत उन्हें सरकार से आर्थिक सहयोग, ओवरटाइम या किसी दुर्घटना की स्थिति में मदद उपलब्ध कराई जा सकेगी।
एक लाख हैं कर्मचारी
श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले गिग वर्कर्स राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थी होंगे। झारखंड में गिग वर्कर्स की अनुमानित संख्या लगभग एक लाख के आसपास है। सरकार चाहती है कि इनके लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। फिलहाल इनके कल्याण के लिए राज्य में कोई योजना नहीं है। बता दें कि पिछले कुछ समय से गिग इकॉनमी में महत्वपूर्ण निभाने वाले इन कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी के लिए तेजी से काम हो रहा है। राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है।