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एक्शन मोड में FSSAI; सभी मसाला कंपनियों में होगी क्वॉलिटी जांच, MDH-Everest पर उठे थे सवाल

MDH-Everest Masala Row : MDH और एवरेस्ट कंपनी के मसालों में मिले कैंसर के केमिकल को लेकर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) एक्शन मोड में आ गया है। FSSAI अब देश की सभी मसाला कंपनियों की क्वॉलिटी जांच होगी।
07:45 PM May 02, 2024 IST | Rajesh Bharti
एक्शन मोड में fssai  सभी मसाला कंपनियों में होगी क्वॉलिटी जांच  mdh everest पर उठे थे सवाल
अब सभी मसालों की जांच होगी

MDH-Everest Masala Row : सिंगापुर, हांगकांग, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में विवादों में आए MDH और Everest के मसालों की आंच देश की तमाम मसाला कंपनियों तक पहुंच गई है। इसे लेकर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) देश की सभी मसाला कंपनियों की क्वॉलिटी जांच करेगी। अगर मसालों में कोई कमी पाई जाती है तो कंपनियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा।

FSSAI ने दिया आदेश

FSSAI ने आदेश दिया है कि देश की सभी मसाला कंपनियों में परीक्षण और निरीक्षण किया जाएगा। इस दौरान हर मसाले का सैंपल लिया जाएगा और उसकी क्वॉलिटी जांच की जाएगी। इस दौरान यह भी जांचा जाएगा कि इन मसालों में एथिलीन ऑक्साइड कितनी मात्रा में है। अगर कोई कमी पाई जाती है तो एक्शन लिया जाएगा।

उठ रही थी जांच की मांग

सिंगापुर समेत दुनिया के कई देशों में MDH और एवरेस्ट के मसालों की क्वॉलिटी जांच के घेरे में आ गई है। इन मसालों में एथिलीन ऑक्साइड तय मात्रा से ज्यादा पाया गया था। एथिलीन ऑक्साइड एक कीटनाशक पदार्थ है और इसके ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है। इसी को लेकर सिंगापुर और हांगकांग ने कुछ मसालों पर बैन भी लगा दिया है। विदेशों में एक्शन के बाद FSSAI पर भी भारत में मसालों की क्वॉलिटी जांच को लेकर दबाव बन रहा था।

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क्या है एथिलीन ऑक्साइड

एथिलीन ऑक्साइड एक कीटनाशक है जिसका इस्तेमाल खेती में कीटों को मारने में किया जाता है। साथ ही यह स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में भी काम करता है। खाने-पीने की चीजों में मिलाने के लिए इसे बैन किया गया है। इसका मुख काम मेडिकल इक्विपमेंट्स को स्टरलाइज करने में किया जाता है। साथ ही मसालों में इसका इस्तेमाल एक सीमित मात्रा में ही कर सकते हैं। एथिलीन ऑक्साइड को अगर तय मात्रा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इसके संपर्क में आने से लिम्फोइड कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वहीं यह डीएनए, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकता है। अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार इसके इस्तेमाल से लिंफोमा और ल्यूकेमिया जैसी बीमारी भी हो सकती है।

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