Success Story: कैसे एक ऑफिस बॉय बना दो कंपनियों का मालिक, जानें दादासाहेब भगत की कहानी
Success Story: अक्सर हम लोगों को मेहनत करके अपना भविष्य बनाते देखते हैं। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं,जो अपने काम से लोगों को प्रेरित भी करते हैं और मार्केट में एक क्रांतिकारी विचार को जन्म देते हैं। आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने एक ऑफिस बॉय से शुरुआत करके दो कंपनियों का सफर तय किया।
महाराष्ट्र के बीड नामक छोटे से शहर से आए दादासाहब भगत ने अपनी सूझबूझ से रियूज टेम्पलेट का ऐसा आइडिया निकाला ,जिसने क्रांति की लहर दौड़ा दी। यहां हम दादा साहब की सक्सेस स्टोरी के बारे में जानेंगे कि कैसे वे इतने कम समय में इस मुकाम पर पहुंचे और लोगों को प्रेरणा दी।
पुणे में सपने लेकर आए थे दादा साहब
दादा साहब ने अपने सपनों को पंख देने के लिए बीड से पुणे तक का सफर तय किया। जहां उनको उम्मीद थी कि वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकेंगे। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आईटीआई डिप्लोमा किया और पुणे इंफोसिस में रूम सर्विस बॉय की तरह अपने करियर की शुरुआत की। जहां उन्हें केवल 9000 रुपये मिलते थे। ये पैसे बस उतने ही थे, जिससे उनका केवल गुजारा हो सकता था।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले वे दिहाड़ी मजदूर की तरह काम करते थे, जिसके लिए उनको हर रोज 80 रुपये मिलते थे। हालांकि, उस समय उन्होंने ये नहीं सोचा था कि ये आम सी शुरुआत उनके लिए नए मौके खोल देगी।
दादासाहब का संतुलन, उनको नए मुकाम और अवसरों की ओर अग्रसर करने लगा। इसके चलते दादा साहब आज एक सफल एंटरप्रेन्योर बन पाए हैं। इंफोसिस में काम करने के साथ-साथ दादा साहब ने दो नई कंपनियां खड़ी कर दी।
सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में बढ़ी दिलचस्पी
इंफोसिस में काम करते समय भगत को सॉफ्टवेयर उद्योग में दिलचस्पी आने लगी , लेकिन इस फील्ड में काम करने के लिए उनको डिग्री की जरूरत थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एनीमेशन की क्लास लेना शुरू कर दी। कोर्स पूरा होने के बाद भगत को मुंबई में नौकरी मिल गई और बाद में वे हैदराबाद चले गए।
हैदराबाद में उन्होंने पायथन और C++ सीखना शुरू किया। इस काम के दौरान उन्हें एक आइडिया आया कि विज़ुअल इफेक्ट बनाने में बहुत समय लगता है। ऐसे में रियूज टेम्पलेट की लाइब्रेरी बनाना,बहुत काम आएगा। इन डिजाइन टेम्प्लेट को उन्होंने ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया।
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कैसे बढ़ा करियर?
एनीमेशन कोर्स के उन्होंने प्राइम फोकस वर्ल्ड में रोटो आर्टिस्ट की तरह अपने करियर की शुरुआत की और 'नार्निया' और 'स्टार वार्स' जैसी हॉलीवुड फिल्मों में योगदान दिया। इसके अलावा भगत ने रिलायंस मीडिया वर्क्स लिमिटेड और मैजिक एन कलर्स इंक में भी काम किया। मगर 2015 की एक कार दुर्घटना ने उनकी जिंदगी पलट दी। मगर फिर भी भगत ने हार नहीं मानी और फ्रीलांस डिजाइन का काम करते रहे। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली कंपनी नाइंथ मोशन की शुरुआत की, जो BBC और 9XM म्यूजिक जैसे चैनलों को सर्विस देती थी।
इसके बाद दादा साहब ने डूग्राफिक्स की शुरुआत की और कोविड के दौरान उन्होंने अपने इस बिजनेस को स्केल किया। केवल 6 महीने की अंदर ही डूग्राफिक्स के पास महाराष्ट्र, दिल्ली, बैंगलोर और विदेशों से कुल 10,000 एक्टिव यूजर आ गए। बता दें कि डूग्राफिक्स एक प्लेटफार्म है , जो आपको कैनवा की तरह ऑनलाइन ग्राफिक डिजाइन टूल देता है। अब इस कंपनी का रेवेन्यू 2 करोड़ का है। बता दें कि शार्क टैंक इंडिया में अमन गुप्ता ने भगत के आइडिया में 1 करोड़ रुपये का निवेश किया है।