गेम चेंजर UPI: हाई रिस्क वालों को भी मिले लोन, समय पर अदायगी, Default रेट भी नहीं बढ़ा
UPI Power: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने देश के पेमेंट सिस्टम को तो बदला ही है, साथ ही यह आम जनता और कंपनियों के लिए फायदा का सौदा साबित हुआ है। हाल ही में सामने आई एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे UPI गेम चेंजर की भूमिका निभा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि थोड़े समय में ही UPI ने पूरे भारत में डिजिटल भुगतान की पहुंच को तेजी से बढ़ाया है और इसका इस्तेमाल स्ट्रीट वेंडर्स से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल तक सभी स्तरों पर किया जा रहा है।
इतने लोगों तक पहुंच
वर्ष 2016 में शुरुआत के बाद से हर रोज UPI के दायरे में विस्तार हो रहा है। इसकी मदद से आज 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारी निर्बाध डिजिटल लेनदेन सक्षम हुए हैं। खास बात यह है कि यूपीआई ने ऐसे लोगों के लिए भी लोन के दरवाजे खोले हैं, जो अपने लो क्रेडिट स्कोर के चलते हाई रिस्क की कैटेगरी में आते हैं। रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन क्षेत्रों में UPI का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, वहां नए लोन लेने वालों (New Credit Borrowers) के लोन में 4% और सबप्राइम यानी हाई रिस्क कैटेगरी वालों के लोन में 8% का इजाफा हुआ है।
इन्हें हुआ खूब लाभ
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) के प्रोफेसरों द्वारा तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई के बढ़ते इस्तेमाल का फायदा फिनटेक कंपनियों को सबसे ज्यादा मिला है। उन्होंने लोन के आकार को बढ़ाते हुए इसके वॉल्यूम में कम से कम 77 गुना बढ़ोत्तरी की है। यह आंकड़ा पारंपरिक बैंकों के मुकाबले काफी ज्यादा है। खास बात यह है कि UPI से लोन बढ़े हैं, लेकिन डिफ़ॉल्ट की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
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लोन उपलब्धता बढ़ी
रिपोर्ट बताती है कि UPI के जरिये लिये जाने वाले लोन की अदायगी समय पर हो रही है। आसान भुगतान प्रणाली के चलते कर्ज लेने वाले समय पर उसे लौटा रहे हैं, जिससे डिफॉल्ट दर में वृद्धि नहीं हुई। रिसर्च टीम ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि UPI अपनाने से लोन वृद्धि में किस तरह मदद मिली। उन्होंने कहा कि UPI लेनदेन में 10% की वृद्धि से लोन उपलब्धता में 7% की वृद्धि हुई, जो दर्शाता है कि कैसे डिजिटल फाइनेंस सिस्टम कर्ज लेने वालों से कर्ज देने वालों तक सबका जीवन आसान बना रहा है।
भारत इस मामले में लीडर
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत UPI के मामले में लीडर के तौर पर सामने आया है और वह अन्य देशों की इस टेक्नोलॉजी को अपनाने में मदद कर सकता है। बता दें कि भारत में UPI की शुरुआत 2016 में की गई थी, आज इसका व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल होता है। छोटी सी दुकान से लेकर बड़े स्टोर्स तक सभी UPI से पेमेंट स्वीकार रहे हैं।