whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

बिलासपुर में समूह की महिलाएं कर रही वेस्ट मैनेजमेंट का काम, सलाना कर रही मोटी की कमाई

Bilaspur Self-Help Groups Women Waste Management: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्वसहायता समूह की महिलाएं वेस्ट मैनेजमेंट कर अपने आसपास के इलाकों को स्वच्छ रखने का काम कर रही हैं और सलाना मोटी कमाई कर रही है।
07:33 PM Sep 18, 2024 IST | Pooja Mishra
बिलासपुर में समूह की महिलाएं कर रही वेस्ट मैनेजमेंट का काम  सलाना कर रही मोटी की कमाई

Bilaspur Self-Help Groups Women Waste Management: छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार द्वारा प्रदेश और यहां लोगों के विकास के लिए लगातार काम किया जा रहा है। सीएम विष्णुदेव साय का मानना है कि किसी भी प्रदेश का विकास महिलाओं के सशक्त हुए बिना नहीं हो सकता है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेशे महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। इसके अलावा स्वसहायता समूह में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा रहा है। स्वसहायता समूह से जुड़ कई महिलाओं ने अपनी और अपने आसपास वाले लोगों की जिंदगी को बदला है। इसका एक शानदान उदाहरण बिलासपुर जिले से सामने आया है। यहां बिल्हा विकासखंड के ग्राम डोड़की में स्वसहायता समूह की महिलाएं वेस्ट मैनेजमेंट कर अपने आसपास के इलाकों को स्वच्छ रखने का काम कर रही हैं।

Advertisement

कचरों का शानदार मैनेजमेंट

ग्राम डोड़की में स्वसहायता समूह की महिलाएं क्षेत्रों को स्वच्छ रखने कचरों का शानदार मैनेजमेंट कर रही है। समूह की महिलाएं वेस्ट मैनेजमेंट से जैविक खाद बनाने का अहम काम कर रही हैं। राज्य सरकार की तरफ से दिए जा रहे सहयोग से समूह की महिलाओं के जीवन में आर्थिक और नैतिक सुधार देखने को मिल रहा है। अब महिलाएं अपने परिवार की जिम्मेदारियों निभाते हुए राज्य के निर्माण में भी अपना योगदान दे रही हैं।

Advertisement

यह भी पढ़ें: जानें सीएम विष्णुदेव साय कब करेंगे अगली कैबिनेट बैठक, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

Advertisement

सलाना कर रही मोटी की कमाई

ग्राम डोड़की के जय मां अम्बे समूह की महिलाओं ने बताया कि गांव में मनरेगा के अंतर्गत SLWUM शेड, नाफेड और वर्मी टैंक का निर्माण किया गया है। इन सभी कामों के लिए मनरेगा से 10.29 लाख रुपये मंजूर हुए थे। SLWUM शेड के जरिए से ठोस और तरल अपशिष्ट के रूप में निकलने वाले कचरे को मैनेज किया जा रहा है। इन करचों को समूह की महिलाएं अपने तिपहिया गाड़ी में घर-घर घूमकर इकट्ठा करती है और शेड में लाकर इन कचरों का खाद बना रही हैं। वहीं प्लास्टिक जैसे ठोस कचरों बेच से समूह को सालाना 30 हजार से 40 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो