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SCST-OBC के सर्टिफिकेट में हेरफेर! दिल्ली में गिरोह का पर्दाफाश, 4 आरोपी गिरफ्तार

Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस के मुताबिक राजधानी में ऐसे गिरोह एक्टिव हैं, जो अवैध रूप से जाति (एससी/एसटी और ओबीसी) प्रमाण पत्र बनाते हैं। पुलिस ने इस गिरोह के 4 सदस्य को गिरफ्तार किया है।
12:32 PM Jun 14, 2024 IST | Deepti Sharma
scst obc के सर्टिफिकेट में हेरफेर  दिल्ली में गिरोह का पर्दाफाश  4 आरोपी गिरफ्तार
फर्जी जाति प्रमाण पत्र का भंडाफोड़ Image Credit: Freepik

Delhi Crime News: दिल्ली (विमल कौशिक)। फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए क्राइम ब्रांच ने ऐसा जाल बुना, जिसमें 4 आरोपी फंस गए। दिल्ली कैंट के कार्यकारी मजिस्ट्रेट (तहसीलदार), दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग सहित चार लोगों की गिरफ्तारी के साथ सेंट्रल रेंज, क्राइम ब्रांच ने गैर-आरक्षित श्रेणियों के आवेदकों को अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र (एससी/एसटी और ओबीसी) बनाने/जारी करने में मिले हुए एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। जांच के शुरुआती चरण में, सौ से अधिक ऐसे अवैध प्रमाण पत्र बरामद किए गए हैं।

क्राइम ब्रांच को मिली सूचना 

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में क्राइम को सूचना मिली थी कि एक गिरोह द्वारा गैर-योग्य उम्मीदवारों को अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।

इस सूचना को वेरिफाई करने और प्रमाणित करने के लिए इसी साल 13 मार्च को इंस्पेक्टर सुनील कुमार कालखंडे ने एक फर्जी आवेदक को जो सामान्य श्रेणी से संबंधित है, उसे एक ऐसे व्यक्ति के पास भेजा, जिसके बारे में संदेह था कि वह एक प्रमुख व्यक्ति है, जिससे ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाया जा सके।

उसे राजस्व विभाग, दिल्ली सरकार द्वारा ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किया गया था। आरोपी ने उससे इस प्रमाण पत्र के लिए 3500/- रुपये लिए थे। इसके अलावा इसे दिल्ली सरकार के रेवेन्यू विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड करा था।

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कैसे आरोपी को पकड़ा गया?

इस मामले की जानकारी के बाद पिछले महीने 9 मई को टीम ने संगम विहार के इलाके में जाल बिछाया और संगम विहार निवासी सौरभ गुप्ता को गिरफ्तार किया। उसके मोबाइल फोन के डेटा की जांच करने पर पता चला कि फर्जी आवेदकों और उसके बीच चैट हुई थी। इसके अलावा उसके मोबाइल फोन के डेटा में कई दस्तावेजों के स्नैपशॉट और पीडीएफ फाइलें भी मिलीं।

वह उन दस्तावेजों के बारे में कोई सही से जवाब नहीं दे पाया। लगातार पूछताछ करने पर उसने स्वीकार किया कि उसने फर्जी आवेदकों को कार्यकारी मजिस्ट्रेट, राजस्व विभाग, दिल्ली सरकार के कार्यालय से ये ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए थे। जिसके बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। धारा 420/468/120 बी आईपीसी के तहत इस मामले में आरोपी सौरभ गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। आगे की जांच के दौरान, सह-आरोपी चेतन यादव, जो एक ठेकेदार के माध्यम से तहसीलदार के दफ्तर में काम कर रहा था और वारिस अली, जो तहसील अधिकारी में (कार्यकारी मजिस्ट्रेट) का ड्राइवर है।

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