Bhakshak Review: समाज के भक्षकों के काले कारनामों को बेनकाब करती है Bhumi Pednekar की फिल्म
बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) अपनी फिल्म 'भक्षक' (Bhakshak) के जरिए फिर सोशल मुद्दों को लेकर दर्शकों के सामने आई हैं। उनकी फिल्म 9 फरवरी को नेटफ्क्लिस पर स्ट्रीम हो गई है। फिल्म 'भक्षक' एक क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जिसमें भूमि पेडनेकर पत्रकार वैशाली सिंह के किरदार में हैं।
कुछ दिनों पहले 'भक्षक' का ट्रेलर रिलीज हुआ था, जिसे देखकर साफ हो गया था कि 'भक्षक' की कहानी 'मुजफ्फरपुर शेल्टर होम' के जैसी है। हालांकि फिल्म की कहानी सीधे तौर पर 'मुजफ्फरपुर शेल्टर होम' का नाम नहीं लेती लेकिन ट्रेलर में कहानी को सच्ची घटनाओं पर आधारित बताया गया है। अगर आप फिल्म का देखने का मन बना रहे हैं तो पहले एक नजर डालें इसके रिव्यू पर।
दुष्कर्म और अत्याचार की पोल खोलती है फिल्म
भूमि पेडनेकर की फिल्म 'भक्षक' की कहानी जरूर सच्ची घटनाओं पर आधारित है लेकिन फिल्म को देखने के बाद इसके मेकर्स पर थोड़ा गुस्सा भी आता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मुज्जफरपुर को मुन्नवरपुर और असल अपराधी का नाम और जात छिपाने की क्या ज़रूरत थी। उसे बंसी साहू बनाकर मेकर्स भी लीगल लफड़ों से बचने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि 2 घंटे 15 मिनट तक 'भक्षक' ने बिहार के मुज्जफ़रनगर में एक बालिका सेल्टर होम में छोटी-छोटी बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म और अत्याचार की पोल खोल कर रख दी है।
एक नजर फिल्म की कहानी पर
'भक्षक' की कहानी शुरू होती है मुन्नवरपुर में रहने वाली वैशाली सिंह से जो एक यूट्यूब चैनल चलाती है। वैशाली ऐसी पत्रकारिता करने में विश्वास रखती है, जो समाज में बदलाव ला सके। हालांकि चैनल के लिए उसे न तो कोई अच्छा सब्जेक्ट मिल रहा है और न ही व्यूअर्स बढ़ रहे हैं। इस बीच एक इन्फॉर्मर वैशाली सिंह को सरकार की वो ऑडिट रिपोर्ट देता है, जिसमें शेल्टर होम की लड़की के साथ हो रहे अत्याचार की कहानी दर्ज़ है।
दो महीने से ऑडिट रिपोर्ट को सरकार और सिस्टम ने दबाकर रखा है क्योंकि इसके तार कई लोगों से जुड़े हुए हैं। यह जानने के बाद वैशाली सिंह फैसला लेती है कि वह इस मामले को उजागर करेगी। इसके लिए वैशाली अपने इकलौते कैमरा-मैन भास्कर के साथ लड़ने निकल पड़ती है जिसके खिलाफ़ उसकी बहन, पति, जीजा और पूरा सिस्टम है। इंसाफ की इस लड़ाई में आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
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फिल्म में कोई मसाला नहीं
'भक्षक' का निर्देशन पुलकित ने किया है। हालांकि पूरी फिल्म में उन्होंने कोई मसाला नहीं डाला है। लोकल न्यूज़पेपर के साथ शेल्टर होम चलाने वाले, चाइल्ड वेलफेर डिपार्टमेंट के अधिकारी, समाज कल्याण विभाग के मंत्री तक इस केस की कालिख़ पहुंची लेकिन जब आप उन्हे आख़िर में फिर से बच्चों की ठेकेदारी और ज़िम्मेदारी का भाषण देते देखते हैं, तो लगता है कि हम वाकई भक्षक हो गए हैं।
पुराने तेवर में लौटीं भूमि पेडनेकर
फिल्म के किरदार पर बात करें तो भूमि पेडनेकर अपने पुराने तेवर में नजर आई हैं। अपने रोल को फैंस के दिल तक पहुंचाने के लिए एक्ट्रेस ने जान फूंक दी है। वहीं भास्कर के किरदार में संजय मिश्रा, मायूसी और उम्मीद एक साथ दिखा देते हैं, ये उनके जैसा मंझा हुआ कलाकार ही कर सकता है। खबरी बने दुर्गेश कुमार का काम बेहद शानदार है। भक्षक बंसी के किरदार में आदित्य श्रीवास्तव को देखकर आप सिहर जाते हैं। अगर आप सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्म को देखने में दिलचस्पी रखते हैं तो 'भक्षक' आपके लिए अच्छा ऑप्शन होगा।