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रेलवे की नौकरी छोड़ी, बंटवारे का दर्द झेला, उठाई कलम और लिखा- प्यार हमें किस मोड़ पर ले आया

Gulshan Bawra Birthday Special: 'प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया', 'अगर तुम न होते' से कुछ ऐसे सदाबहार गाने हैं, जिन्हें लोग आज भी गुनगुनाते हैं। इन गानों को लिखा था गुलशन बावरा ने जो भले ही आज इस दुनिया में नहीं हों लेकिन उनके लिखे गाने हमेशा लोगों के जहन में रहेंगे।
07:05 AM Apr 12, 2024 IST | Jyoti Singh
रेलवे की नौकरी छोड़ी  बंटवारे का दर्द झेला  उठाई कलम और लिखा  प्यार हमें किस मोड़ पर ले आया
Gulshan Bawra Birthday Special

Gulshan Bawra Birthday Special: गीतों का गुलशन, गुलशन के गीत... जी हां, हम बात कर रहे हैं फिल्म इंडस्ट्री के गीतकार और एक्टर गुलशन मेहता की जिन्हें गुलशन बावरा के नाम से पहचाना जाता था। 12 अप्रैल 1937 को पंजाब के गांव शेखुपुरा (अब पाकिस्तान) में जन्मी इस मशहूर हस्ती का आज जन्मदिन है। फिल्म इंडस्ट्री में उनके लिखे सदाबहार गाने जब रिलीज हुए तो कई अवसरों के लिए नगीने बन गए। 'प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया', 'अगर तुम न होते', 'यारी है ईमान मेरा' और न जाने कितने गाने जिन्हें गुलशन बावरा ने लिखा वो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं गुलशन बावरा के बारे में कुछ अनसुनी बातें और उनके लिखे सदाबहार गीतों के बारे में...

Bollywood music history: Meet songwriter Gulshan Bawra

हादसे बना कलम उठाने की वजह

गुलशन बावरा ने बंटवारे के दौरान अपनी आंखों से पिता और चाचा का कत्ल होते देखा था। उस दौरान उनकी बहन उन्हें अपने साथ जयपुर ले गई। वापस दिल्ली आकर गुलशन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और शायर बन गए। इसके बाद वह रेलवे क्लर्क की नौकरी करने के लिए मुंबई आ गए। हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 1955 में उनकी मुलाकात संगीतकार कल्याण वीरजी शाह से हुई जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म 'चंद्रसेना' में ब्रेक दिया। बस फिर क्या रेलवे का क्लर्क बन गए गीतकार।

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इन गानों ने दिलाया फिल्म फेयर

गुलशन बावरा का लिखा हुआ पहला गाना 'मैं क्या जानू काहे लागे ये सावन मतवाला रे' था जिसे 23 अगस्त 1958 को रिकॉर्ड किया गया था। इस गाने को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी थी। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में गुलशन बावरा ने 69 गाने लिखे जबकि आर. डी. बर्मन के साथ 150 गाने लिखे। 'अगर तुम न होते', 'सनम तेरी कसम', 'रफू चक्कर', 'सत्ते पे सत्ता' ऐसी कई फिल्मों के गाने उन्होंने लिखे जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं। फिल्म 'उपकार' में 'मेरे देश की धरती' और फिल्म 'जंजीर' में 'यारी है ईमान मेरा' के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।

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दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

गुलशन बावरा ने अपने पूरे करियर में कई सुपरहिट गानें लिखे। एक दिन अचानक उनकी कलम हमेशा के लिए रुक गई। 7 अगस्त 2009 को लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से गुलशन बावरा का निधन हो गया। उनकी इच्छानुसार मृतदेह को जेजे अस्पताल को दान किया गया था। बावरा तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन इंडस्ट्री में उनका योगदान इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए कैद हो चुका है।

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