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BJP की वो चूक, जिस वजह से वो भी हारी और Pawan Singh भी, फायदा तीसरे ने उठाया

Pawan Singh Karakat Lok Sabha Election 2024: बिहार के काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह लोकसभा चुनाव में हार का सामना कर रहे हैं। एक्टर की इस हालत का कारण कहीं न कहीं भाजपा है। जिन्होंने खुद ही अपने और पवन सिंह के लिए गड्ढा खोद दिया। दोनों की लड़ाई में तीसरी पार्टी फायदा उठा गई।
08:38 PM Jun 04, 2024 IST | Ishika Jain
bjp की वो चूक  जिस वजह से वो भी हारी और pawan singh भी  फायदा तीसरे ने उठाया
Pawan Singh Karakat Lok Sabha Election 2024

Pawan Singh Karakat Lok Sabha Election 2024: हम तो डूबे सनम, तुमको में ले डूबेंगे। कुछ इसी प्रकार की हालत रही भोजपुरी स्टार पवन सिंह (Pawan Singh) की, जो भाजपा की सीट को ठुकरा कर खुद बिहार की काराकाट सीट से आजाद प्रत्याशी के तौर पर खड़े तो हो गए।  लेकिन न तो उन्हें भाजपा के कैडर वोट का फायदा मिला और न ही मोदी लहर का। लिहाजा, उन्हें काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा। पवन सिंह से ज्यादा बुरा तो काराकाट के भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के साथ हुआ, जो पवन सिंह को कुछ ज्यादा ही कमजोर तरीके से ले गए।

भाजपा ने ये काम करने में कर दी देर

आधे से ज्यादा चुनाव प्रचार तक तो पवन सिंह भाजपा में होते हुए भाजपा के खिलाफ प्रचार करते रहे। जब तक भाजपा ने पवन सिंह को बागी मानते हुए उन्हें पार्टी से निकाला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, लिहाजा उपेंद्र कुशवाहा भी हार गए। फायदा तीसरी पार्टी के प्रत्याशी को मिल गया। भाजपा की वोटें बंटने की वजह से पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा हारे, वरना ये भाजपा की पक्की सीट थी।

क्या हुई भाजपा से चूक

भाजपा ने पहले पवन सिंह को आसनसोल से प्रत्याशी बनाया था। हालांकि, एक्टर ने भाजपा के इस ऑफर को ठुकरा दिया और पहले तो निजी कारण बताकर इस सीट से लड़ने से इंकार कर दिया, लेकिन बाद में बिहार की काराकाट सीट से टिकट की मांग की, उस समय तक भाजपा ने काराकाट सीट से पार्टी प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। अगर भाजपा उस वक्त काराकाट से पवन सिंह को टिकट दे देती तो यह सीट सौ फीसदी भाजपा के खाते में होती। इससे भाजपा और एक्टर दोनों को फायदा होता।

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भाजपा की गलती पड़ी भारी

लेकिन भाजपा से एक और गलती हो गई। जब भाजपा में रहते हुए ही पवन सिंह से उनके खिलाफ बगावत कर रहे थे तभी एक्टर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता तो न तो पवन सिंह का समय खराब होता और ही ही भाजपा का। लेकिन कीमती समय बर्बाद करने के बाद साम दाम दंड भेद जैसी सारी रणनीति लगाकर भी एक्टर काराकाट से चुनाव जीत नहीं पाए। इस पूरे मुद्दे पर ये कहावत एक दम फिट बैठती है कि दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर रोटी ले गया।

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