Triptii Dimri को दिन में 5 बार क्यों पड़ती थी मार? 'भाभी 2' ने किया खुलासा
Triptii Dimri Childhood Memories: तृप्ति डिमरी इस वक्त नेशनल क्रश बनी हुई हैं। जब से उन्होंने 'एनिमल' (Animal) मूवी में काम किया है उन्हें काम की कोई कमी नहीं है। एक्ट्रेस की एक के बाद एक फिल्में आती जा रही हैं। हाल ही में उनकी फिल्म 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' (Vicky Vidya Ka Woh Wala Video) रिलीज हुई है। अब जल्द ही उनकी फिल्म 'भूल भुलैया 3' (Bhool Bhulaiyaa 3) आने वाली है। ऐसे में हर तरफ उनका बज बना हुआ है।
बचपन में कैसी थीं तृप्ति डिमरी?
हर कोई तृप्ति की ही बात कर रहा है। जब एक्ट्रेस के इतने चर्चे हो ही रहे हैं तो हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो अभी तक तृप्ति के बड़े से बड़े फैन को पता नहीं होंगी। तृप्ति डिमरी अभी तो आपको स्टेज पर थोड़ी इंट्रोवर्ट ही नजर आती होंगी। भले ही तृप्ति स्क्रीन पर बेहद बोल्ड हैं, लेकिन ऑफ स्क्रीन वो काफी शांत दिखती हैं। वहीं, बचपन में तृप्ति कैसी थीं क्या कभी आपने इसके बारे में सोचा है? अगर आप भी जानना चाहते हैं कि तृप्ति बचपन में शांत स्वभाव की थीं या शरारती तो इस सवाल का जवाब अब खुद एक्ट्रेस ने दे दिया है।
कैसी शरारत करती थीं तृप्ति डिमरी?
एक्ट्रेस ने अपने एक इंटरव्यू में बचपन को लेकर ढेर सारे खुलासे किए हैं। तृप्ति डिमरी ने रिवील किया कि वो बेहद शरारती और जिद्दी बच्ची हुआ करती थीं। अगर कोई उन्हें कुछ करने से मना करे तो वो उस काम को जरूर करती थीं। पहले शायद उनके मन में वो काम करने का ख्याल भी न आए, लेकिन जब एक बार मना कर दिया तो उन्हें फिर तो बस वही करना होता था। तृप्ति डिमरी ने ये भी खुलासा किया है कि वो हर दिन रोने के बाद ही स्कूल जाती थीं। इतना ही नहीं वो इतनी शरारती थीं कि न तो क्लास में आगे बैठती थीं और न ही पीछे। वो जानबूझकर बीच में बैठती थीं, क्योंकि आगे और पीछे वाले पर ध्यान ज्यादा जाता है बीच में बैठना सेफ ऑप्शन था।
यह भी पढ़ें: Galaxy के बाद Salman Khan के फार्म हाउस पर बढ़ाई गई सुरक्षा, Baba Siddique की हत्या के बाद चौकन्नी हुई पुलिस
दिन में 5 बार क्यों पड़ती थी मार?
लेकिन क्या आप जानते हैं अब तृप्ति ने ये भी रिवील किया है कि जब तक वो 5 बार मार नहीं खाती थीं तो उनका दिन पूरा नहीं होता था। अब वो कब किससे मार खाती थीं ये भी जानते हैं। तृप्ति ने बताया है कि उन्हें शुरू में ही अपनी मम्मी से मार पड़ जाती थी। फिर स्कूल में टीचर से, फिर ट्यूशन टीचर से, फिर कॉलोनी में बच्चों से और आखिर में उन्हें अपने पापा से मार पड़ती थी। इसके बाद ही उनका दिन खत्म होता था। इससे वो इतनी ढीठ हो गईं थी कि उन्हें लगता था ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे मारेंगे, मार लो।