…तो इस वजह से बड़े जानवर अब हो रहे हैं छोटे, नई अध्ययन रिपोर्ट में खुलासा
आपने कभी किसी जानवरों को देखकर ऐसा जरूर महसूस किया होगा कि पहले तो यह जानवर बड़े-बड़े होते थे लेकिन अब यह छोटे क्यों होने लगे हैं। आपने कई लोगों से इसका कारण भी पूछा होगा तो उन्होंने जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना होगा। लेकिन हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट ने इस दावे को कुछ हद तक खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु में बदलाव आने के पहले भी जानवरों के आकार पहले से छोटे होने लगे थे। आकार में अंतर आने के पीछे दो मुख्य कारण है- पहला, प्रजातियों के बीच विभिन्न संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा तो दूसरा कारण है पर्यावरण के कारण विलुप्त होने का खतरा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 18 जनवरी को यह अध्ययन कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ था। लंदन के रीडिंग विश्वविद्यालय ने बताया कि पारिस्थितिकी तंत्र मॉडलर शोवोनलाल रॉय की टीम ने यह अध्ययन किया है। विश्वविद्यालय ने अपने एक बयान में कहा कि जिस तरह हम जहां रहते हैं, उस अनुसार ही हम खुद को हर मौसम में ढाल लेते हैं। हमारे शोध से पता चलता है कि जानवरों का आकार निवास स्थान या पर्यावरण के आधार पर निर्भर है, जो लंबी अवधि के दौरान छोटा-बड़ा हो सकता है।
कोप के नियमों को बताया अपवाद
रॉय सहित कुछ शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिए मौजूदा कोप सिद्धांत को चुनौती दी कि आखिर जानवरों का आकार कैसे बदलता है। बता दें, कोप सिद्धांत बताता है कि जानवरों के कई समूह में हजारों-लाखों वर्षों पहले बड़ा आकार विकसित करने की प्रवृत्ति थी। शोधकर्ताओं ने कोप के नियमों को अपवाद माना है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में एक दावा पेश किया कि विशालकाय डायनाडोर के आकार सिकुड़कर गौरैया के आकार के कैसे हो गए। अलास्का के घोड़े भी 24000 से 14,500 वर्ष पहले 12 प्रतिशत सिकुड़ गए थे।
कंप्यूटर मॉडल का किया इस्तेमाल
रॉय ने विभिन्न स्थितियों में विकास को समझने के लिए कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया। उन्होंने तीन मॉडल बनाए। पहले मॉडल से पता चला की समय के साथ जानवरों का आकार बढ़ता है। अध्ययन में साफ हुआ कि प्रजातियों के बीच कम प्रतिस्पर्धा के कारण जानवर बड़े होते हैं क्योंकि, भोजन पर्याप्त मात्रा में होता है। वहीं, दूसरे मॉडल में पाया गया कि कुछ जानवर बड़े तो हो जाते हैं लेकिन बाद में विलुप्त हो जाते हैं, जैसे- डायनासोर और ऊनी मैमथ। विलुप्ति का मुख्य कारण पर्यावरण या अन्य प्रजातियों के साथ कंप्टीशन हो सकता है। वहीं, तीसरा मॉडल कोप के नियमों के विपरीत है कि प्रजाति समय के साथ सिकुड़ती है। ऐसा तब होता है, जब कंप्टीशन अधिक हो लेकिन आवास-भोजन सहित अन्य संसाधन पर्याप्त न हों।