सोशल मीडिया के नए नियम 5 पॉइंट्स में समझिए, बच्चे नहीं चला पाएंगे फेसबुक, इंस्टाग्राम?
Social Media New Rules for Children: बीते दिन शुक्रवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन के ड्राफ्ट रूल्स जारी किए हैं। 18 फरवरी तक मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने के लिए विचार किया जाएगा। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (Digital Personal Data Protection Act) के नए मसौदे को पुराने नियमों से कैसे अलग बनाया गया है? आइए आपको बताते हैं...
बच्चों के डेटा की सुरक्षा पर जोर
पुराने नियम में बच्चों की डेटा सुरक्षा पर खास ध्यान नहीं दिया गया था और माता-पिता की सहमति का प्रावधान स्पष्ट नहीं था लेकिन अब नए नियमों के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट क्रिएट करने के लिए माता-पिता की मंजूरी लेनी होगी। यानी बच्चे अब फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बिना मंजूरी के नहीं चला पाएंगे। यही नहीं डेटा कलेक्शन के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल करके सहमति की पुष्टि करनी होगी।
डेटा उल्लंघन पर देना होगा जवाब
पुराने नियमों में डेटा उल्लंघन की स्थिति में संस्थाओं की जिम्मेदारी और रिपोर्टिंग प्रोसेसर साफ नहीं थी लेकिन अब नए नियमों के तहत अगर व्यक्तिगत डेटा का उल्लंघन होता है, तो सोशल मीडिया, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को अफेक्टेड इंडिविजुअल्स को इसकी जानकारी देनी होगी।
इंस्टीटूशन्स के लिए सख्त गाइडलाइन्स
पुराने नियमों में डेटा कलेक्शन और हैंडलिंग के लिए कोई खास रूल्स और सर्टिफिकेशन सिस्टम नहीं थी। हालांकि नए नियमों में डेटा कलेक्शन के लिए सहमति सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल टोकन का इस्तेमाल कंपलसरी होगा। कंसेंट मैनेजर्स को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा, जिसकी कम से कम नेटवर्थ 12 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
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प्राइवेसी और ट्रांसपेरेंसी पर जोर
पुराने नियम में फीडबैक और नियमों की ट्रांसपेरेंसी पर कोई स्पेशल पालिसी नहीं थी, लेकिन नए नियमों में मसौदे पर जनता द्वारा दिए गए फीडबैक का खुलासा नहीं किया जाएगा। बोर्ड और चेयरपर्सन के सर्विस रूल्स क्लियर किए जाएंगे, जिससे एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रांसपेरेंसी आएगी।
खास कैटेगरी के लिए छूट
पुराने नियमों में शैक्षणिक और बाल कल्याण संगठनों के लिए कोई अलग नियम नहीं थे। हालांकि अब नए नियमों में शैक्षणिक संस्थानों और बाल कल्याण संगठनों को कुछ नियमों में छूट दे जाएगी, ताकि इन संगठनों को काम करने में कोई मुश्किल न हो।