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HOT सीट ऐलनाबाद... अभय चौटाला के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, कांग्रेस-BJP प्रत्याशियों ने बिगाड़े समीकरण

Haryana Assembly Election 2024: सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट पर इस बार इनेलो के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं, कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे भरत सिंह बेनीवाल ने मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। जेजेपी ने भी यहां से कैंडिडेट उतारा है। इस सीट पर सियासी माहौल कैसा है? आइए जानते हैं।
02:50 PM Sep 26, 2024 IST | Parmod chaudhary
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अभय चौटाला, भरत सिंह बेनीवाल।

Haryana Assembly Election: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। 8 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर इस बार तगड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यह सीट इनेलो का गढ़ रही है। इस बार इनेलो और BSP गठबंधन में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, JJP-ASP ने भी गठबंधन किया है। इस सीट से जेजेपी ने अंजनी लढ़ा और आम आदमी पार्टी ने मनीष कुमार को टिकट दिया है। कांग्रेस के टिकट पर पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल और बीजेपी के टिकट पर अमीर चंद मेहता मैदान में उतरे हैं। अभय सिंह चौटाला इनेलो के टिकट पर अपना गढ़ बचाने उतरे हैं।

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अभय यहां से पांचवीं बार मैदान में हैं। इससे पहले वे लगातार 2 चुनाव और 2 उपचुनाव ऐलनाबाद से जीत चुके हैं। अभय अब तक 5 बार विधायक बन चुके हैं। इस बार उनको कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल से कड़ी चुनौती मिल रही है। ऐलनाबाद हलका राजस्थान सीमा से सटा है। 2019 के चुनाव में यहां 180730 वोटर थे। जिनमें 96292 पुरुष और 84438 महिला वोटर शामिल रहे। अब 190000 से अधिक वोटर हो चुके हैं।

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24 साल से यहां काबिज है इनेलो

इस सीट पर पिछले 24 साल से इनेलो का कब्जा रहा है। इस बार भी INLD अपना गढ़ बचाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है। 2000 में इस सीट से इनेलो के भागीराम विधायक बने थे। इसके बाद 2005 में हुए चुनाव में यहां से सुशील कुमार ने जीत हासिल की। 2009 के परिसीमन में यह सीट अनरिजर्व हो गई। जिसके बाद ओमप्रकाश चौटाला यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। लेकिन दो जगह से जीत के बाद यह सीट खाली कर दी थी। 2009 में ओपी चौटाला को उचाना कलां से भी जीत मिली थी। इसके बाद उपचुनाव में यहां से अभय सिंह चौटाला जीतकर दूसरी बार विधायक बने थे। हरियाणा के सीएम रहे ओपी चौटाला पहली बार ऐलनाबाद से ही विधायक बने थे।

2019 के चुनाव में इनेलो के अभय सिंह चौटाला को 57055 वोट मिले थे। बीजेपी के पवन बेनीवाल 45133 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को 35383 वोटों से संतोष करना पड़ा था। 2010 में भी उपचुनाव हुआ था। तब भी अभय सिंह चौटाला ने भरत सिंह बैनीवाल को शिकस्त दी थी। 2014 के चुनाव की बात करें तो अभय सिंह चौटाला को 69162 वोट मिले थे। बीजेपी के पवन बेनीवाल को 57623 और कांग्रेस के रमेश भादू को सिर्फ 11491 वोट मिले थे। इस इलाके का प्रमुख मुद्दा नशा और पानी की दिक्कत है। हर चुनाव में इनके निवारण की बात तो होती है, लेकिन अब तक समस्याएं बरकरार हैं। इस बार जनता किसका साथ देगी? यह देखने वाली बात होगी।

संतोष बेनीवाल से भरत सिंह को होगा फायदा

हरियाणा के गठन के बाद ऐलनाबाद में पहली बार 1967 में चुनाव हुए थे। इस सीट से देवीलाल के बेटे प्रताप चौटाला 28 साल की उम्र में विधायक बने थे। निर्दलीय लाल चंद को कांग्रेस की टिकट पर उतरे प्रताप ने 2647 वोटों से हराया था। एक साल बाद हुए चुनाव में फिर लालचंद जीते। उनको विशाल हरियाणा पार्टी ने टिकट दिया था। ओमप्रकाश चौटाला 5331 वोटों से हार गए थे। इस हलके में 74 गांव हैं। बेनीवाल पैंतालीसा में भरत सिंह बेनीवाल का दबदबा माना जाता है। उनके भाई की पत्नी संतोष बेनीवाल भी भरत सिंह के साथ मजबूती से डटी हैं। वे टिकट कटने के बाद नाराज थीं। लेकिन पार्टी उनकी नाराजगी दूर करने में सफल रही। संतोष बेनीवाल की किसानों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसी परिवार के पवन बेनीवाल ने कांग्रेस छोड़कर अभय का साथ देने का ऐलान किया है।

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