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जाटों के चक्कर में दलित भी खोए...कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी नहीं बचा पाए सीट, जानें क्यों?

Congress President Udai bhan loses: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज भी चुनाव हार गए। इसमें सबसे चौंकाने वाली हार रही कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान की।
09:12 PM Oct 08, 2024 IST | Rakesh Choudhary
जाटों के चक्कर में दलित भी खोए   कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी नहीं बचा पाए सीट  जानें क्यों
Congress President Udai bhan loses from Hodel

Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 90 में से 48 सीटें जीत ली हैं। जबकि कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली हैं। ऐसे में बीजेपी लगातार तीसरी बार प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव मैदान में थे, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा। इनमें से एक हैं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान। उदयभान 2022 से कांग्रेस के प्रमुख हैं। वे हुड्डा कैंप के माने जाते हैं। उदयभान होडल सीट से 2500 वोटों के अंतर से हार गए। उन्हें बीजेपी के हरिंदर सिंह हार मिली।

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होडल से 4 बार के विधायक रहे उदयभान को 2014 में आखिरी बार जीते थे। इसके बाद 2019 और 2024 में उन्हें बीजेपी प्रत्याशी के हाथों हार मिली है। उनकी हार के कई कारण सामने आ रहे हैं। कांग्रेस ने दलितों को साधने के लिए प्रदेश में दलित को अध्यक्ष बनाया। इसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में हुआ। पार्टी लोकसभा चुनाव में एससी रिजर्व दोनों सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं विधानसभा की 17 सीटों पर पार्टी को भारी बढ़त मिली थीं।

बीजेपी की इस रणनीति से हारी कांग्रेस

लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को लग रहा था कि वे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। माहौल भी कुछ ऐसा ही था। कांग्रेस के पा मुद्दे, परसेप्शन और भाजपा की 10 साल की सरकार की सत्ता विरोधी लहर थी। तो वहीं बीजेपी के पास गिनाने को विकास के काम थे, लेकिन पार्टी ने ध्रुवीकरण और आरोपों को अपना हथियार बनाया। दलित और ओबीसी वोटर्स को यह समझाने की कोशिश की, वे ही उनके सही हितैषी हैं।

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जाटों पर अधिक निर्भरता से हुआ नुकसान

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस की हार का बड़ा कारण जाटों पर अधिक निर्भरता है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की मानें तो जाट वोटों के बंटवारे और नाॅन जाट वोट बैंक के खिसकने से पार्टी को हार मिली है। वहीं बीजेपी के नेता भी मंच से लगातार कांग्रेस के जाट समर्थक पार्टी होने और खुद को 36 कौम के हितैषी नेता बता रहे थे। इससे दलित और ओबीसी जातियों को लगा कि बीजेपी ही हमारी कल्याण कारी पार्टी है।

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