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कितना खतरनाक है दिमाग खाने वाला अमीबा? तैरने गए शख्स की ले ली जान; जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

Brain Eating Amoeba Symptoms: नेगलेरिया फाउलेरी एक माइक्रो ऑर्गेनिज्म है जो आमतौर पर पानी और मिट्टी में मिलता है। यह संक्रमण इतना खतरनाक है कि इसके कारण तैरने गए एक व्यक्ति की मौत हो गई। कितना जानलेवा है ये 'दिमाग खाने वाला' अमीबा और इसके लक्षण कैसे दिखते हैं, आइए जानें..
12:07 PM Jul 14, 2024 IST | Deepti Sharma
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Brain Eating Amoeba Symptoms: पाकिस्तान में एक अजीब मामला सामने आया है। एक 22 साल के युवक की नेगलेरिया फाउलेरी नामक जानलेवा अमीबा के दिमाग में पहुंचने से मौत हो गई। दरअसल, पीड़ित एक फार्म हाउस में अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के बाद इस बीमारी से संक्रमित हुआ था, जहां वो समूह तैराकी के लिए भी गया था। अगले दिन, इसके लक्षण दिखने लगे, जिसमें मतली और बुखार शामिल थे। इस मौत के बाद पाकिस्तान में इस साल मरने वालों की संख्या तीन हो गई।

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पीएएम खासकर सेंट्रल नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है जो नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होती है, जिसे आमतौर पर 'दिमाग खाने वाला' अमीबा कहा जाता है। इस गंभीर बीमारी को आसान भाषा में दिमाग को खाने वाला अमीबा कहा जाता है जबकि मेडिकल भाषा में इसका नाम Primary Amoebic Meningoencephalitis है।

नेगलेरिया फाउलेरी क्या है?

नेगलेरिया फाउलरी एक अमीबा है जो आम तौर पर गर्म पानी और नम मिट्टी में पाया जाता है। इसे गर्मी पसंद है, इसलिए यह अक्सर गर्मियों के दौरान पानी में पाया जाता है, लेकिन नेगलेरिया फाउलरी अक्सर ठंडे तापमान में भी पानी में रहता है। नेगलेरिया फाउलेरी गर्म पानी के हीटर, पाइप और वॉटर सिस्टम में भी विकसित हो सकता है। यह संक्रमण तब होता है जब कोई तैराकी जैसी एक्टिविटी के दौरान पानी नाक के जरिए अमीबा ब्रेन में पहुंच जाता है और गंभीर सूजन करता है।

नेगलेरिया फाउलेरी के लक्षण

अमीबा से कैसे संक्रमित होते हैं?

इस प्रकार के अमीबा से संक्रमित होने का सबसे आम तरीका तब होता है जब संक्रमित पानी नाक में चला जाता है। वहां से, अमीबा आपके दिमाग में चला जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब आप संक्रमित पानी में तैर रहे होते हैं, गोता लगा रहे होते हैं। काफी दुर्लभ मामलों में, संक्रमित पानी गर्म नल का पानी या स्विमिंग पूल का पानी हो सकता है जिसमें क्लोरीन नहीं होता है।

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संक्रमण से बचाव के तरीके

  1. गर्मी और बरसात में इसकी संभावना ज्यादा बढ़ती है। इस बात का ध्यान रखें कि नदी और झरने का पानी नाक में न जाए।
  2. गर्मी और बरसात में नदी, झरने और झील में गोता लगाने से बचें ।
  3. झरनों में अपने सिर को भीगने से बचाएं, क्योंकि नाक के जरिए पानी अंदर पहुंच सकता है।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।  
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