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Atal Bihari Vajpayee: दूरदर्शी-संवेदनशील नेता, दृढ़ता-विनम्रता का अद्भुत संगम, लोगों की नब्ज टटोल लेते थे

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटली बिहारी वाजपेयी को उनकी 100वीं जयंती पर शत-शत नमन। देश के लिए, युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत अटल बिहारी की कविताएं आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आइए उनके व्यक्तित्व पर एक नजर डालते हैं...
05:45 AM Dec 25, 2024 IST | Khushbu Goyal
Atal Bihari Vajpayee
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Atal Bihari Vajpayee Memoir: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 25 दिसंबर 2024 को 100वीं जयंती है। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति का वह नाम हैं, जो न केवल एक कुशल नेता थे, बल्कि जनमन की नब्ज को समझने वाले दूरदर्शी और संवेदनशील राजनेता भी थे। उनकी वाणी में कवित्व था। विचारों में गहराई और व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण था, जिसने उन्हें जनता के दिलों में हमेशा के लिए अमर बना दिया। अटल बिहारी राजनीति के मैदान में दृढ़ता और विनम्रता का अद्भुत संगम थे। वे राजनीति को केवल सत्ता का साधन नहीं मानते थे, बल्कि उसे समाज सेवा का माध्यम समझते थे।

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अटल बिहारी के भाषणों में लोगों की भावनाओं को छू लेने की क्षमता थी। जब वे संसद में बोलते थे तो उनकी वाणी श्रोताओं के दिलों तक सीधे पहुंचती थी। उन्होंने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी। उनकी नीतियां गरीब, किसान, युवा और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित रहीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में नागरिकों को एक सशक्त राजनीतिक विकल्प प्रदान किया। उस समय, जब पूरे देश में कांग्रेस का दबदबा था, जनसंघ जैसे नए दल और उसका झंडा थामे युवा अटल बिहारी वाजपेयी के लिए राहें बेहद कठिन थीं।

 

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अटल बिहारी के फैसलों ने देश की दशा-दिशा बदली

1957 में जब अटल बिहारी लोकसभा के लिए चुने गए, तब जनसंघ संख्याबल के आधार पर कांग्रेस के सामने कोई बड़ी चुनौती पेश नहीं कर पा रहा था, लेकिन अटल बिहारी ने अपने विचारों और कुशल नेतृत्व से जनसंघ को वैचारिक रूप से इतना सशक्त बना दिया कि संख्याबल एक गौण मुद्दा बनकर रह गया। उनके भाषण और विचार कांग्रेस की सत्ता को चुनौती देते हुए उसकी नींव हिला देने वाले साबित होते थे। प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, जिन्होंने देश की दिशा और दशा को बदल दिया।

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (गोल्डन क्वाड्रिलेटरल) देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित हुई। भारत के परमाणु परीक्षण (पोखरण-2) 1998 करके अटल बिहारी के नेतृत्व में भारत ने खुद को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई। कश्मीर मुद्दे पर शांति प्रयास करते हुए अटल बिहारी ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का मंत्र देते हुए कश्मीर समस्या का हल खोजने का प्रयास किया। आईटी और टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति उनके शासनकाल में हुई।

 

अटल बिहारी के शब्द लोगों के दिल में उतरते थे

राष्ट्रहित और 'राष्ट्र प्रथम' के मंत्र को अपने जीवन का उद्देश्य बनाने वाले अटल बिहारी के लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं था। उनमें वह शक्ति और कौशल था, जो समय की धारा को नई दिशा देने में सक्षम था। यह न केवल सत्य है, बल्कि ऐतिहासिक तथ्य भी है कि अटल बिहारी ने पारंपरिक रास्तों पर चलने की परंपरा को तोड़ते हुए सामाजिक और राजनीतिक जीवन में नई शुचिता और उच्च आदर्शों की स्थापना की।

उनके बोले गए हर शब्द सीधे आम जनमानस के दिल में उतरते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी के बारे में लिखा है कि अटल बिहारी को यह गहराई से पता था कि कब क्या कहना है, कितना कहना है और कब मौन रहना है। उन्होंने इस कला में महारत हासिल की थी। जैसा कि किसी ने सही कहा है, "कौन सी बात कहां कही जाती है! यह सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है!" अटल जी ने इस पंक्ति को पूरी तरह से चरितार्थ किया।

 

विरोधी दलों के लिए आदरणीय थे अटल बिहारी

अटल बिहारी का विचार था कि हम केवल अपने लिए न जिएं, बल्कि दूसरों के लिए भी जिएं। राष्ट्र के लिए अधिक से अधिक त्याग करें। यदि भारत की स्थिति कमजोर और दयनीय है तो दुनिया हमारा सम्मान नहीं करेगी, लेकिन यदि हम हर दृष्टि से सशक्त और सुसंपन्न हैं तो पूरी दुनिया हमारा सम्मान करेगी। अटल बिहारी के विचार और उनकी जीवनशैली आज भी हमें यह सिखाती है कि राष्ट्र के प्रति समर्पण और निःस्वार्थ सेवा से ही सच्ची सफलता और सम्मान प्राप्त किया जा सकता है। अटल बिहारी का कवि हृदय उनकी राजनीति में भी झलकता था।

उनकी कविताएं आम आदमी की संवेदनाओं और देशभक्ति की गहरी भावना को प्रकट करती हैं। उनकी कविताएं न केवल शब्दों का संकलन थीं, बल्कि वे समाज के लिए एक प्रेरणा थीं। "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा" जैसे उनके काव्यांश आज भी संघर्षरत व्यक्तियों को प्रेरित करते हैं। अटल बिहारी का व्यक्तित्व राजनीतिक कटुता से परे था। उनके राजनीतिक विरोधी भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते थे। संसद में उनके भाषणों में तार्किकता और हास्य का ऐसा मिश्रण होता था, जो श्रोताओं को सम्मोहित कर देता था। उनकी शालीनता और सौम्यता के कारण वे विरोधी दलों के नेताओं के लिए भी आदरणीय थे।

 

भारत के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे अटल बिहारी

अटल बिहारी ने हमेशा जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा। उन्होंने गरीबों, किसानों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए काम किया। उनकी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, ग्रामीण भारत को शहरी भारत से जोड़ने का एक ऐतिहासिक प्रयास था। अटल बिहारी एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने राजनीति में नैतिकता और मूल्यों को सर्वोपरि रखा। उनके विचार, नीतियां और कार्य भारत के भविष्य के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनकी दूरदर्शिता, देशभक्ति और कवित्वपूर्ण व्यक्तित्व ने उन्हें भारतीय राजनीति के महानतम नेताओं में शामिल किया।

अटल बिहारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक युग थे। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक राजनेता किस प्रकार जनसेवा, दूरदर्शिता और मानवीय संवेदनशीलता के साथ राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है। उनकी स्मृतियां हमें सदैव प्रेरित करती रहेंगी। “मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं।” (अटल जी की कविताओं की तरह, उनका जीवन भी एक प्रेरक गीत है।)

(लेखक भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और वर्तमान में असम राज्य के प्रभारी हैं)

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Atal Bihari VajpayeeAtal Bihari Vajpayee birth anniversary
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