ओ माय गॉड! इस अदालत में भगवान के खिलाफ दर्ज होता है मुकदमा, सुनाई जाती है अनोखी सजा

Chattisgarh bastar Bhangaram Temple: छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक जगह ऐसी भी है, जहां साल में एक बार भगवान के खिलाफ मुकदमा चलता है। वहीं दोषी पाए जाने पर भगवान को सजा भी मिलती है।

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Bastar Court Case Against God: अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म 'ओ माय गॉड' तो आपने जरूर देखी होगी। इस फिल्म में परेश रावल भगवान के खिलाफ मुकदमा लड़ते हैं। फिल्म देखने के बाद कई लोगों के जहन में ख्याल आता है कि यह सिर्फ फिल्मों में होता है, असल जिंदगी में ऐसा कहां मुमकिन है? मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ की एक अदालत में ना सिर्फ भगवान के खिलाफ मुकदमा चलता है बल्कि दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा तक सुना दी जाती है।

बस्तर की अनोखी अदालत

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कंगारू कोर्ट के बारे में आपने कई बार सुना होगा। इस अदालत में सारे माओवादी इक्ट्ठा होते हैं। मगर बस्तर जिले में ही एक और अदालत लगती है। साल में एक बार लगने वाली इस अदालत में भगवान के खिलाफ मुकदमा चलता है।

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भंगाराम मंदिर की जन अदालत

दरअसल बस्तर में आदिवासी आबादी 70 प्रतिशत है। यहां गोंड, मारिया, भतरा, हल्बा और धुरवा जैसी जनजातियां रहती हैं। बस्तर में ही भंगाराम देवी का मंदिर मौजूद है। हर साल मानसून के दौरान इस मंदिर में भादो जात्रा उत्सव मनाया जाता है। इसी महोत्सव में जन अदालत का आगाज होता है।

मुर्गियां देती हैं गवाही

भंगाराम देवी मंदिर में तीन दिवसीय भादो जात्रा उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान भंगाराम देवी सभी मुकदमों की अध्यक्षता करती हैं। महोत्सव के दौरान लोग भगवान पर आरोप लगाते हैं। मजे की बात तो यह है कि इन मुकदमों में मुर्गियां समेत अन्य पशु-पक्षी गवाही देते हैं। फसल खराब होने से लेकर बीमारी तक इस अदालत में भगवान के खिलाफ सभी तरह के मुकदमे दर्ज होते हैं।

भगवान को मिलती है ये सजा

सुनवाई के दौरान अगर भगवान दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें सजा भी मिलती है। सजा के तौर पर भगवान की मूर्तियों को एक निश्चित समय के लिए मंदिर के पीछे रख दिया जाता है। कई बार यह सजा आजीवन कारावास की भी होती है। हालांकि ज्यादातर मामलों में जब तक भगवान अपनी गलती सुधार नहीं लेते, तब तक उन्हें मंदिर के पीछे रखा जाता है। वहीं शिकायतकर्ता की समस्या का समाधान होने के बाद भगवान को फिर से मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। इस महोत्सव में 240 गांवों के लोग हिस्सा लेते हैं। मुकदमे के बाद सभी के लिए महाभोज का भी आयोजन किया जाता है।

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