होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

GN Saibaba कौन, जो 90% दिव्यांग, हाईकोर्ट ने बरी किया, 10 पॉइंट में जानें क्यों हुई थी उम्रकैद?

GN Saibaba Maoist Links Case Update: जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर बरी कर दिया है। उनकी उम्रकैद की सजा भी कैंसिल हुई है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा है। 2022 में भी शरीर से 90 फीसदी दिव्यांग साईबाबा को बरी किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की खिलाफत करते हुए सजा को बरकरार रखा था।
11:27 AM Mar 05, 2024 IST | Khushbu Goyal
Delhi University Former Professor GN Saibaba
Advertisement

GN Saibaba Maoist Links Case Latest Update: माओवादी से संबंध होने के आरोप झेल रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर GN साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। उनकी उम्रकैद की सजा को भी रद्द कर दिया गया है। जीएन साईं बाबा अभी नागपुर की सेंट्रल जेल में कैद हैं।

Advertisement

आज हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के सदस्यों जस्टिस विनय जोशी और वाल्मिकी एसए मेनेजेस ने गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत साईबाबा के खिलाफ दर्ज केस की सुनवाई की और साईबाबा समेत 6 अन्य लोगों की उम्रकैद की सजा के फैसले को भी पलट दिया।

उन्हें मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें बरी किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी करने के फैसले को निलंबित कर दिया। अब एक बार फिर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया।

Advertisement

कौन हैं साईबाबा?

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी के एक कस्बे अमलापुरम में जन्मे साईबाबा को 5 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। उनकी कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता। वे व्हीलचेयर पर रहते हैं और करीब 90 फीसदी दिव्यांग हैं। सीमित हो गए और 80% शारीरिक रूप से विकलांग हो गए। पत्नी वसंत से वे कोचिंग क्लास में मिले थे, जिससे उन्होंने लव मैरिज की।

गोकरकोंडा नागा साईबाबा के नाम से मशहूर जीएन साईबाबा पढ़ाई पूरी करने के बाद 2003 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज से बतौर अंग्रेजी प्रोफेसर जुड़े। जीएन साईबाबा मशहूर लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं। बतौर मानवाधिकार कार्यकर्ता वे आदिवासियों-जनजातियों की आवाज हैं। उनके हितों और विकास के लिए संघर्ष करते रहे हैं।

साल 2014 में उन्हें नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके चलते उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया। 31 मार्च 2021 को उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। साईबाबा ने अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टेंस फोरम (AIPRF) के कार्यकर्ता के रूप में कश्मीर और उत्तर पूर्व में चल रहे मुक्ति आंदोलनों का समर्थन किया। दलितों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए 2 लाख किलोमीटर की यात्रा भी की थी।

 

जानें मामले में कब और क्या हुआ?

Open in App
Advertisement
Tags :
Bombay High CourtGN SaibabaGN Saibaba acquitsSupreme Court of India
Advertisement
Advertisement