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Jammu-Kashmir : 10 साल बाद विधानसभा चुनाव; तब से अब तक कितनी बदली तस्वीर? समझें हर समीकरण

Jammu-Kashmir Vidhan Sabha Chunav 2024 : भारतीय निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है। राज्य में विधानसभा चुनाव का आयोजन 10 साल बाद होने जा रहा है और इस दौरान राज्य की तस्वीर काफी बदल चुकी है।

First Time Voters Of Jammu Kashmir In Lok Sabha Election 2024. (ANI)

Jammu Kashmir Assembly Election 2024 : आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव आयोजित होने जा रहे हैं। शुक्रवार को भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जिसमें जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान किया गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न होंगे। इसके तहत पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा 25 सितंबर और तीसरा 1 अक्टूबर को होगा। 4 अक्टूबर को मतगणना की जाएगी।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव इसलिए भी अहम हैं क्योंकि 10 साल बाद इनका आयोजन होने जा रहा है। इससे पहले साल 2014 में यहां विधानसभा चुनाव हुआ था। यहां ध्यान देने वाली एक बात यह है कि तब से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आ चुके हैं। परिसीमन के बाद विधानसभा की तस्वीर पूरी तरह बगल गई है। पहले लद्दाख और जम्मू-कश्मीर एक ही राज्य हुआ करते थे लेकिन आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया था। इन कारणों की वजह से सीटों की संख्या भी बदली है।

सीटों की संख्या में हुआ इजाफा

परिसीमन की वजह से अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 114 हो गई हैं। इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर की हैं। आगामी चुनाव इन सीटों पर नहीं होना है, जिसका मतलब यह है कि विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 90 सीटों पर होगा। इससे पहले यह संख्या 83 हुआ करती थी। इस हिसाब से यहां विधानसभा सीटों में 7 का इजाफा हुआ है। जम्मू संभाग में 6 सीटें तो कश्मीर संभाग में 1 सीट बढ़ी है। यानी जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हो गई हैं। अब कश्मीर संभाग में आने वाली सीटों की संख्या जम्मू संभाग से ज्यादा हो गई है।

रिजर्व सीटों की संख्या भी बदली

निर्वाचन आयोग ने पहली बार 7 विधानसभा सीटों को एससी (अनुसूचित जाति वर्ग) के लिए आरक्षित की गई हैं। 9 सीटें एसटी (अनुसूचित जनजाति वर्ग) के लिए रिजर्व हैं। एसटी रिजर्व्ड सीटों में राजौरी, कोगरनाग, सुरनकोट, पुछ हवेली, बुधल मेंधर, गुलबर्ग, हुरेज और थाना मंडी विधानसभा सीट हैं। एससी आरक्षित सीटों में रामनगर, कठुआ, रामगढ़, बिश्नाह, सुचेतगढ़, माढ़ और अखनूर रखे गए हैं। माना जा रहा है कि यह स्थिति राज्य में भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है जो लाख कोशिशों के बाद भी यहां अपनी पकड़ उतनी मजबूत नहीं कर पाई है।

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दो दशक में सबसे छोटा चुनाव!

आगामी विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर के दो दशक के इतिहास में सबसे जल्दी संपन्न हो जाएगा। पिछले 20 साल के दौरान यहां हुए विधानसभा चुनाव 4 या फिर इससे ज्यादा चरणों में कराए गए थे। लेकिन इस बार यह संख्या तीन कर दी गई है। साल 2002 में चुनाव 4 चरणों में संपन्न हुए थे। वहीं, 2008 में यहां सात चरणों में तो 2014 में पांच चरणों में विधानसभा चुनाव हुए थे। उल्लेखनीय है कि पहली बार कश्मीरी प्रवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व भी राज्य विधानसभा में देखने को मिलेगा। उप राज्यपाल इस समुदाय के तीन सदस्यों को नॉमिनेट करेंगे।

पिछले इलेक्शन का लेखा-जोखा 

साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटों पर मतदान हुआ था। ये चुनाव 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक 5 चरणों में संपन्न हुए थे। क्षेत्रीय पार्टियों की ओर से चुनाव का बायकॉट करने के बाद भी 65 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया था। उस समय के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की की पार्टी जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दिया था। भाजपा ने पीडीपी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी। 2018 में भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया और राज्यपाल का शासन लागू कर दिया गया था।

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