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क्या दिल्ली की तरह कश्मीर में भी होगा सरकार और LG के बीच घमासान? इन वजहों से उठ रहे सवाल

Jammu Kashmir Assembly Power: जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद हो रहे हैं। ऐसे में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की शक्तियां ठीक वैसी ही होंगी जैसी दिल्ली विधानसभा की हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर भी दिल्ली की तरह केंद्र शासित प्रदेश है।
09:18 AM Sep 22, 2024 IST | Rakesh Choudhary
क्या दिल्ली की तरह कश्मीर में भी होगा सरकार और lg के बीच घमासान  इन वजहों से उठ रहे सवाल
Jammu Kashmir LG

Jammu Kashmir Assembly Election 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण मतदान हो चुका है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस पड़ोसी राज्य में 2014 के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। वहीं प्रदेश में आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद भी विधानसभा के पहले चुनाव हैं। इस आर्टिकल की समाप्ति के बाद प्रदेश का संवैधानिक ढांचा भी बदल जाएगा। यानि यहां की विधानसभा के पास केवल वे ही शक्तियां होंगी जोकि अन्य राज्यों के पास हैं, लेकिन वह भी तब जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाएगा। ऐसे में नई विधानसभा पहले की विधानसभाओं से काफी अलग होगी।

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अगस्त 2019 में केंद्र सरकार के आर्टिकल 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन लिया गया। ऐसे में नई विधानसभा एक केंद्र शासित प्रदेश के लिए होगी न कि किसी राज्य के लिए। ऐसे में जम्मू-कश्मीर की नई विधानसभा के पास क्या अधिकार होंगे? बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के जरिए केंद्र सरकार ने दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए। बिना विधानसभा वाला लद्दाख और विधानसभा वाला जम्मू और कश्मीर।

आर्टिकल 239एए क्या कहता है?

बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 239एए, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से संबंधित है जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। जो उस सीमा तक काम करेगा जो ठीक समझे। 2019 के अधिनियम की धारा 13 में भी संविधान के आर्टिकल 239 एए का जिक्र किया गया है, जो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के लिए प्रावधान करता है। वह जम्मू-कश्मीर पर भी लागू होगा।

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा की शक्तियां

1947 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर के अनुसार जम्मू-कश्मीर का भारत में प्रवेश इस आधार पर किया था कि रक्षा, विदेश और संचार के विषयों को छोड़कर बाकी सभी विषयों पर कानून बनाने और उस पर निर्णय लेने की शक्ति जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के पास होगी। ऐसे में भारतीय संसद के पास जम्मू-कश्मीर के लिए सीमित विधायी शक्तियां थीं।

2019 के पुनर्गठन अधिनियम ने एक अलग ही संरचना बनाई है। जिसमें राज्य विधानसभा की तुलना में एलजी की भूमिका बहुत बड़ी है। इसे आप दो प्रावधानों से समझ सकते हैं। अधिनियम की धारा 32 जो कि विधायी शक्ति से संबंधित है इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और समवर्ती सूची के ऐसे विषय जिस पर केंद्र ने कानून बना रखा है उनको छोड़कर जम्मू-कश्मीर की विधानसभा किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है। वहीं अधिनियम की धारा 36 उपराज्यपाल के वित्तीय विधेयकों की शक्ति से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि कोई भी विधेयक उपराज्यपाल की सिफारिश के बिना विधानसभा में पेश नहीं किया जाएगा।

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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियां

2019 अधिनियम की धारा 53 के उपराज्यपाल तीन कार्यों में मंत्रिपरिषद की सलाह लिए बिना अपने विवेक से काम कर सकेंगे।

1. जो विधानसभा को मिली शक्तियों के दायरे से बाहर हो।

2. कोई न्यायिक कार्य या ऐसा कार्य जिसमें उपराज्यपाल को विवेक से निर्णय लेने का अधिकार दिया गया हो।

3.अखिल भारतीय सेवाओं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित।

सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस के अलावा नौकरशाही और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी एलजी के नियंत्रण में होंगे।

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जम्मू-कश्मीर में दिखेगा दिल्ली वाला द्वंद

जब जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त किया जा रहा था तब संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक होने पर फिर से चुनाव करवाएं जाएंगे और प्रदेश की फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि अगर केंद्र सरकार सुरक्षा कारणों का हवाला देकर प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं करती है तो क्या दिल्ली की तरह ही वहां भी उपराज्यपाल और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनेगी जोकि अक्सर दिल्ली में एलजी और केजरीवाल सरकार के बीच देखी जाती रही है।

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