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भारत की पहली महिला डॉक्टर जिसने जीवन के आखिरी क्षणों में भी किया ऑपरेशन

Who is Kadambini Ganguly? वह भारतीय नेशनल कांग्रेस की पहली महिला स्पीकर बनीं। उन्हें एक साहसी और बहादुर महिला माना जाता है क्योंकि जीवन पर्यंत उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी
02:29 PM Mar 16, 2024 IST | Avinash Tiwari
भारत की पहली महिला डॉक्टर जिसने जीवन के आखिरी क्षणों में भी किया ऑपरेशन
भारत की पहली महिला डॉक्टर कादंबिनी गांगुली ने अपने जीवन के आखिरी दिन भी किया ऑपरेशन। source-wikipedia

Who is Kadambini Ganguly? : एक ऐसी महिला चिकित्सक जिसने अपनी मौत के आखिरी क्षणों में भी मरीज का ऑपरेशन किया और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल पेश कर दी। चिकित्सा के साथ ही वह महिला अधिकारों के लिए जीवनपर्यंत लड़तीं रहीं। एक छोटे से कस्बे में पैदा होकर मॉडर्न मेडिसिन में स्नातक और इसे प्रैक्टिस करने वाली वह पहली भारतीय महिला के रूप में जानी जातीं हैं।

आज के बांग्लादेश के बारिसल में पली-बढ़ीं कादंबिनी गांगुली

हम बात कर रहे हैं बंगाली परिवार में पैदा हुई कादंबिनी गांगुली की। उनका जन्म भागलपुर बिहार में हुआ और वह वर्तमान के बांग्लादेश के बारिसल में पली-बढ़ीं। उनकी शिक्षा ब्रह्मो इडेन फीमेल स्कूल ढाका में अंग्रेजी माध्यम से हुई।

इसके बाद वह हिंदू महिला विद्यालय, बालीगंज कलकत्ता आ गईं। बाद में यह स्कूल बेथुन स्कूल के साथ 1878 में मर्ज कर दिया गया। यहां से कादंबिनी ने कलकत्ता विश्विद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास की और बेथुन कॉलेज से मॅाडर्न मेडिसिन में भारत की पहली महिला स्नातक होने का गौरव प्राप्त किया।

उनके साथ चंद्रमुखी बासु ने भी स्नातक किया। इसके बाद कादंबिनी ने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की।

चिकित्सा के अलावा महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ती रहीं लड़ाई

हालांकि उन्होंने खुद को यहीं तक सीमित नहीं किया। बाद में वह राजनीति में भी आ गईं जिसके बाद उनका सामाजिक दायरा लगातार बढ़ने लगा। उनके इन्हीं प्रयासों के चलते वह भारतीय नेशनल कांग्रेस की पहली महिला स्पीकर भी बनीं।

उन्हें एक साहसी और बहादुर महिला माना जाता है क्योंकि जीवन पर्यंत उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने निजी स्तर पर महिलाओं और महिला समूहों की सहायता की।

उन्होंने 3 अक्टूबर 1923 को अपनी अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि जीवन के अपने आखिरी दिन भी उन्होंने एक मरीज का आपरेशन कर अपनी कर्तव्यनिष्ठा को सिद्ध किया था।

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