1857 में आज ही के दिन उठी थी अंग्रेजों के खिलाफ पहली आवाज; मंगल पांडे ने क्यों छेड़ा था विद्रोह?
Indian Rebellion of 1857 : अंग्रेजों की दासता में जकड़े भारत में साल 1857 में आज ही के दिन यानी 29 मार्च को स्वतंत्रता संग्राम रूपी आग को साकार स्वरूप देने वाली पहली चिंगारी सुलगी थी। इस चिंगारी को सुलगाने वाले व्यक्ति का नाम था मंगल पांडे। देश की आजादी के आंदोलन में मंगल पांडे (Mangal pandey) का नाम सबसे महान क्रांतिकारियों में शुमार किया जाता है। इस रिपोर्ट में जानिए मंगल पांडे कौन थे और किस कारण से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ पहली गोली चलाकर 1867 की क्रांति का सूत्रपात किया था।
Mangal Pandey, whose act of mutiny sparked the Great Rebellion of 1857-58, and Charles Canning, governor-general as the Rebellion spread and was then brutally suppressed. Two interlinked lives in the cantonment of Barrackpore #hooghly pic.twitter.com/CPJEuyIXa2
— Robert Ivermee (@RobertIvermee) January 27, 2024
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। यह जिला अब उत्तर प्रदेश में आता है। बताया जाता है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी। हिंदू धर्म में बेहद आस्था रखने वाले ब्राह्मण परिवार में जन्मे पांडे साल 1849 में उन्होंने बंगाल प्रेसीडेंसी यानी सेना जॉइन कर ली थी। यह ब्रिटिश भारत की तीन प्रेसीडेंसी यानी में से एक थी। मार्च 1857 को वह 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री रेजीमेंट की पांचवीं कंपनी में एक निजी सिपाही थे। इस रेजीमेंट में उनके अलावा भी कई ब्राह्मण थे।
29 मार्च 1857 के दिन क्या हुआ था?
1850 के दशक में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतुष्टि की स्थिति बनने लगी थी। किसानों पर टैक्स का भारी बोझ डाला जा रहा था। इसके अलावा कारोबारी और कारीगर भी अपने काम को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के चलते बर्बाद होते देख रहे थे। इसी बीच अंग्रेज अपने सैनिकों के लिए नई एनफील्ड रायफल लेकर आए। ये रायफल ऐसी थी जिसमें सैनिकों को इसे लोड करने के लिए कार्ट्रिज के आखिरी हिस्से को दांत के काटना पड़ता था। जब सैनिकों को पता चला कि इन कार्ट्रिज में सुअर और गाय के मांस का इस्तेमाल होता है तो उन्होंने इसे अपनी धार्मिक आस्था पर हमले की तरह लिया।
#OnThisDay - on 29th March 1857, at #Barrackpore, Sepoy Mangal Pandey of the 34th Bengal Native Infantry, fired the first shots of what would later be considered the beginning of the #GreatRevolt of 1857 or, the First War of #Indian Independence. Pandey would be captured and then… pic.twitter.com/WtbD82OOf3
— Tathagata Neogi (He/Him/Dr) (@ArchaeoNomad) March 29, 2024
ब्रिटिश अधिकारियों को किया घायल
जिस रेजीमेंट में मंगल पांडे (Mangal Pandey) सिपाही थे उसके कमांडिंग अधिकारी का सहायक था लेफ्टिनेंग बॉघ। उसे पता चला कि रेजीमेंट के कई सैनिक अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह छेड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें सबसे ऊपर नाम मंगल पांडे का था। जब बॉघ वहां पहुंचा तो उसका सामना मंगल पांडे से हुआ और कार्ट्रिज को लेकर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई जिसके बाद पांडे ने उसे तलवार से घायल कर दिया। तभी वहां एक ब्रिटिश सार्जेंट जनरल पहुंचा लेकिन उसे भी पांडे ने बंदूक की बट से मार कर गिरा दिया। वहां मौजूद भारतीय सैनिक या तो अंग्रेजों का मजाक उड़ा रहे थे या फिर शांत खड़े थे।
अंग्रेजों में बना दिया खौफ का माहौल
इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर जनरल हियर्सी खुद वहां पहुंचा। उसने भारतीय सैनिकों को धमकी दी कि या तो वह अपने काम पर जाएं अन्यथा उन्हें गोली मार दी जाएगी। इस पर सैनिक मंगल पांडे को पकड़ने के लिए आगे बढ़े। मंगल पांडे जब तक लड़ पाए तब तक लड़े और अंत में उन्होंने अपनी बंदूक की नाल अपने सीने पर रखी और पैर के अंगूठे से ट्रिगर दबा दिया। उन्हें तुरंत इन्फर्मरी पहुंचाया गया। एक सप्ताह इलाज के बाद वह ठीक हुए। इसके बाद 8 अप्रैल 1957 को उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। पहले उन्हें फांसी देने की तारीख 18 अप्रैल रखी गई थी लेकिन क्रांति के डर से पहले ही फांसी दे दी गई थी।
#OnThisDay in 1857 a Brave Indian, SEPOY MANGAL PANDEY
of 34 Bengal Native Infantryshot at the #British officer,
which later ignited the spark of “SEPOY MUTINY.”A Freedom fighter who started the National uprising,played an important role in India's Independence History. pic.twitter.com/q2DcceiBHh
— Jyoti pendse 🇮🇳 (@priority_n) March 29, 2024
पांडे के साहस से हुई 1857 की क्रांति
मंगल पांडे को अपने विरोध की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाकर वह भारतीय सैनिकों के लिए एक प्रेरणा बन गए। बाद में मेरठ में हुआ विद्रोह जिसने 1857 की क्रांति को जन्म दिया था। उल्लेखनीय है कि 1857 की क्रांति के बाद ही ब्रिटिश क्राउन ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के शासक के तौर पर हटा दिया था। मंगल पांडे के सम्मान में भारत सरकार ने साल 1984 में एक डाक टिकट भी जारी किया था। उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रेरणादायी व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है।