एजेंसियों के रडार पर NEET के 110 स्टूडेंट्स, कहां तक पहुंची जांच?
(कुमार गौरव, नई दिल्ली)
NEET-UG Exam Paper Leak Case : नीट यूजी एग्जाम पेपर लीक मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की। देश भर में 110 स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जो एजेंसियों के रडार पर हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इनमें से 47 छात्रों को फिलहाल डिबार्ड और नोटिस जारी कर दिया गया है। बाकी बचे छात्रों के खिलाफ जांच चल रही है। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यहां किसी तरह का पेपर लीक हुआ था या फिर इन्होंने दूसरों अभ्यर्थियों के बदले में परीक्षा दी।
पेपर लीक मामले में बिहार के 17 और गुजरात के गोधरा के 30 परीक्षार्थियों को नोटिस किया गया है। 110 में से ये 47 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें इस बार की नीट परीक्षा से बाहर कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यदि ग्रेस मार्क को लेकर ऊहापोह की स्थिति नहीं बनती तो आज ये हालात नहीं होते। ग्रेस मार्क्स का कोई प्रावधान नहीं है।
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नीट एग्जाम में कहां हुई गलती
शिक्षा मंत्रालय का कहना कि सबसे बड़ी गलती परीक्षा के दौरान हुई। देश में कुछ सेंटरों पर परीक्षा देर से शुरू हुई। ऐसे में एनटीए को जितनी देरी से परीक्षा शुरू हुई, उन्हें उतना समय दे देना चाहिए था। समस्या वहीं खत्म हो जाती। पूरे मामला की जड़ ग्रेस मार्क हैं, जिसे लेकर अभिभावक कोर्ट भी गए हैं। यदि ग्रेस मार्क के बदले समय दे दिया गया होता तो यह नौबत ही नहीं आती।
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री-एग्जाम में सिर्फ 52% अभ्यर्थी हुए शामिल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार 23 जून को नीट का री-एग्जाम हुआ, जिसमें सिर्फ 52 फीसदी परीक्षार्थी ही शामिल हुए। 1563 में से सिर्फ 813 अभ्यर्थियों ने री-एग्जाम में हिस्सा लिया, जबकि 750 छात्र अनुपस्थित रहे। 494 में से झज्जर के 287 अभ्यर्थी शामिल हुए। यह भी बताया जा रहा है कि पटना पुलिस ने जो अपनी रिपोर्ट सौंपी है, उसके मुताबिक वहां जो कुछ हुआ वह स्थानीय था। पटना के 70 सेंटरों पर नीट की परीक्षा हुई थी। जिन 17 अभ्यर्थियों को नोटिस जारी किया गया है, वे सभी अलग-अलग 14 सेंटरों में परीक्षा दिए थे।