'5 बार नमाज पढ़ता है तो...' फैसले पर उठे सवाल, ओडिशा हाई कोर्ट ने बदली है रेपिस्ट और हत्यारे की फांसी की सजा
Odisha Death Penalty Case: ओडिशा हाई कोर्ट ने एक रेपिस्ट और किलर की सजा को फांसी से आजीवन कारावास में बदल दिया था। हाई कोर्ट ने दोषी के जेल में 5 बार नमाज पढ़ने को ही सजा बदलने का आधार मान लिया। जो अब सवालों के घेरे में है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार फैसले के खिलाफ प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या 5 बार का नमाजी होना दोषी के सुधरने का सबूत है? क्या इससे दोषी बेहतर इंसान बन गया है की गारंटी मिल जाती है?
बता दें कि दो जजों की पीठ ने 36 साल के आरोपी की सजा को बदलते हुए टिप्पणी की थी कि वह पांच वक्त नमाज पढ़ता है। जिसके आधार पर फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। आरोपी का नाम शेख आसिफ अली है। हाई कोर्ट ने कहा कि दोषी पांच वक्त नमाज पढ़ रहा है। उसने 6 साल की मासूम को रेप के बाद मौत के घाट उतारा है। ये दुर्लभतम मामला भी नहीं है। इसलिए सजा को आजीवन कारावास में बदला जाता है।
जस्टिस एसके साहू और जस्टिस आरके पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी अब दंड स्वीकार करने के लिए तैयार है। वह दिन में कई दफा अल्लाह से दुआ मांगता है। ऐसा लगता है कि उसने अल्लाह के सामने सरेंडर कर दिया है। जिससे अब उसके अपराध को दुलर्भतम मामले की श्रेणी में रखना ठीक नहीं है। जिसमें उसे सिर्फ फांसी दी जा सकती है। वकीलों ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए।
Verdict on the Odisha rape case of a 6 year old innocent.
The Orissa High Court commutes death sentence of one of the rapist and murderer, while acquits the other.
The Lower Court had previously given death sentence to both the accused.
👉 For a horrendous crime as such,… pic.twitter.com/CIx1ydByPX
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 27, 2024
कोर्ट ने दो बहनों और परिवार की गरीबी को भी माना आधार
दोनों जजों ने शेख आसिफ अली को रेप और हत्या के मामले में निचली अदालत के आदेशों को बरकरार रखा। दोषी ने 2014 में घिनौना अपराध किया था, तब वह 26 साल का था। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दे। बेंच ने ये भी कहा कि दोषी के परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। गरीब परिवार में दोषी की 63 साल की बूढ़ी मां है। दो अविवाहित बहनें हैं। दोषी मुंबई में पेंटर था, उसके घर में और कोई कमाने वाला नहीं है।
जजों ने माना कि उसका स्कूल में चरित्र ठीक था। 2010 में मैट्रिक पास की। गरीबी के कारण आगे नहीं पढ़ सका। वह फुटबॉल का भी अच्छा खिलाड़ी रहा है। जेल में उसका व्यवहार ठीक है। मनोचिकित्सक और जेल सुपरिंटेंडेंट से भी उसके बारे में जानकारी ली गई। जजों ने कहा कि उसने जेल में अब तक कोई अपराध नहीं किया है।