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उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल नहीं होगी कांग्रेस! जानें क्या है इसके सियासी मायने?

Congress Support NC From Outside: कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में खुद के प्रदर्शन से बेहद निराश है। 2014 के चुनाव में पार्टी दहाई के आंकड़े पर थी, लेकिन इस चुनाव में सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई।
09:38 AM Oct 16, 2024 IST | Rakesh Choudhary
उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल नहीं होगी कांग्रेस  जानें क्या है इसके सियासी मायने
Omar Abdullah Oath Ceremony

Omar Abdullah Oath Ceremony: जम्मू-कश्मीर में आज 10 साल बाद कोई सरकार शपथ लेने जा रही है। राज्य में 2014 में आखिरी बार चुनाव हुए थे। इसके बाद प्रदेश में पिछले महीने ही चुनाव संपन्न हुए। नतीजों में नेशनल काॅन्फ्रेंस और कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन को बहुमत मिला। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में आज उमर अब्दुल्ला पहली बार शपथ लेंगे। उमर अब्दुल्ला आज दूसरी बार प्रदेश के सीएम बनेंगे। उनके साथ 4 विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस का कोई भी विधायक सरकार में शामिल नहीं होगा। ऐसे में साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस उमर अब्दुल्ला को बाहर से समर्थन क्यों दे रही है?

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के एलान के बाद प्रदेश में नेशनल काॅन्फ्रेंस और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया। 90 में से 83 सीटों पर दोनों के बीच गठबंधन हुआ, वहीं 7 सीटों पर दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों के बीच तालमेल का अभाव दिखा। उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में दमखम नहीं दिखा रही है। इसके बाद राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी ने जम्मू में चुनाव प्रचार किया। पार्टी जम्मू की अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन उसे महज 6 सीटों पर जीत मिली। वहीं घाटी में भी उसका हाल कुछ ऐसा ही रहा।

बेहद खराब रहा प्रदर्शन

नेशनल काॅन्फ्रेंस ने प्रदेश की 42 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली। फारूक अब्दुल्ला शुरुआत से यह मानकर चल रहे थे कि प्रदेश में इस बार कांग्रेस दमखम से चुनाव लड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही कारण है कि एनसी ने कांग्रेस को रिजल्ट के बाद खास तरजीह नहीं दी।

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गुलाम नबी आजाद का जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में खुद के प्रदर्शन से बेहद निराश है। 2014 के चुनाव में पार्टी दहाई के आंकड़े पर थी, लेकिन इस चुनाव में सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई। पार्टी को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में मिले नतीजे उसके लिए फायदेमंद होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जम्मू की अधिकांश सीटों पर बीजेपी से मुकाबला होने के बावजूद उसे हार मिली। एक और वजह गुलाम नबी आजाद का पार्टी में नहीं होना है। गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद कांग्रेस से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया और खुद की पार्टी बना ली। हालांकि उन्हें ज्यादा वोट नहीं मिले, लेकिन कांग्रेस के पास वे एक बड़ा चेहरा थे। ऐसे में पार्टी बिना चेहरे के प्रदेश में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई।

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