क्या है भारत-जर्मनी वीजा समझौता? जिसका फायदा उठा देश से भागा सेक्स स्कैंडल का आरोपी प्रज्वल रेवन्ना
Karnataka Prajwal Revanna sex scandal: जनता दल (सेक्युलर) के सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना (Karnataka Prajwal) पर कई महिलाओं के साथ यौन शोषण का आरोप लगा है। 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बाद ही प्रज्वल ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद इस बात पर चर्चा तेज हो गई कि आखिर इतने गंभीर आरोपों की जांच के बीच सांसद को देश छोड़ने की इजाजत कैसे मिली।
यहीं से इस मामले में डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की एंट्री होती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रज्वल रेवन्ना डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर भारत छोड़ जर्मनी पहुंच गए। इसके लिए न तो कोई वीजा जारी हुआ और न ही उन्होंने विदेश मंत्रालय से कोई इजाजत ली। वहीं, कर्नाटक सरकार ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रज्वल रेवन्ना की राजनयिक छूट रद्द करने की मांग की है।
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डिप्लोमेटिक पासपोर्ट क्या है?
डिप्लोमेटिक पासपोर्ट अपने कत्थई रंग से पहचाना जाता है। यह पांच साल या उससे कम के लिए वैध रहता है। इसकी वैधता पासपोर्ट धारक के कार्यकाल की अवधी से जुड़ी होती है। डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं, जिनमें मेजबान देश में गिरफ्तारी, हिरासत और कुछ कानूनी कार्यवाही से छूट शामिल है।
किन लोगों को जारी होता है डिप्लोमेटिक पासपोर्ट
विदेश मंत्रालय का पासपोर्ट और वीजा विभाग 5 श्रेणियों में आने वाले लोगों को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट ('टाइप डी' पासपोर्ट) जारी करता है। इसमें सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले, सरकार द्वारा विदेश में नियुक्त किए गए लोग, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के संयुक्त सचिव रैंक और उससे ऊपर के वरिष्ठ अधिकारी, आईएफएस और एमईए अधिकारियों के परिवार और आधिकारिक सरकारी यात्रा करने वाले केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं।
भारत-जर्मनी वीज छूट समझौता
जहां आम नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए वीजा की आवश्यकता होती है, वहीं, राजनयिक पासपोर्ट रखने वालों को कुछ देशों में छूट मिलती है। प्रज्वल रेवन्ना के मामले के बाद 2011 में जर्मनी के साथ भारत के वीज़ा छूट समझौते को लेकर भी चर्चा हो रही है। इस समझौते के अनुसार, भारतीय राजनयिक पासपोर्ट धारकों को जर्मनी जाने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके तहत 90 दिनों तक बिना वीज़ा के जर्मनी की यात्रा करने की अनुमति मिलती है। भारत ने फ्रांस, ऑस्ट्रिया, अफगानिस्तान, चेक गणराज्य, इटली, ग्रीस, ईरान और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ इसी तरह के समझौते किए हैं।
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राजनयिक पासपोर्ट को कौन रद्द कर सकता है?
प्रज्वल रेवन्ना के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पीएम मोदी से अपील की है। पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अनुसार, पासपोर्ट प्राधिकरण विशिष्ट परिस्थितियों में राजनयिक पासपोर्ट को रद्द कर सकता है:
- अगर पासपोर्ट धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त किया गया है।
- अगर भारत की संप्रभुता, अखंडता या अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में इसे आवश्यक समझा जाए तो इसे रद्द किया जा सकता है।
- अगर राजनयिक पासपोर्ट रखने वाले व्यक्ति को कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है। ऐसे में उसका पासपोर्ट रद्द किया जा सकता है।
- पासपोर्ट धारक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के दौरान अदालत के आदेश पर राजनयिक पासपोर्ट रद्द किए जा सकते हैं।
ब्लू-कॉर्नर नोटिस क्या है?
कर्नाटक सरकार ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया है। किसी व्यक्ति के प्रत्यर्पण के लिए उपयोग किए जाने वाले रेड कॉर्नर नोटिस के मुकाबले इसे किली आपराधिक जांच के लिए व्यक्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए इंटरपोल द्वारा ब्लू-कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है। इस नोटिस से जांच एजेंसियों को पूछताछ में मदद मिलती है। बता दें कि इंटरपोल रेड और ब्लू समेत कुल 7 प्रकार के नोटिस जारी करता है।