Pune Hit And Run Case: कितना खतरनाक है नाबालिग को गाड़ी देना? जानिए क्या कहता है कानून
Pune Hit And Run Case : महाराष्ट्र के पुणे में बीती 18 मई को एक नाबालिग ने लग्जरी कार से 2 लोगों को रौंद दिया था। हादसे के दौरान नाबालिग नशे में था। मामले में आरोपी को तो जमानत मिल गई है लेकिन उसके पिता समेत 3 लोगों को 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पिता को पता था कि बेटे के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है फिर भी उसने कार बेटे को दे दी। इस रिपोर्ट में जानिए कि नाबालिग को गाड़ी देना कितना खतरनाक है और इसे लेकर कानून क्या कहता है।
नाबालिग आरोपी ने अपनी पोर्श कार से बाइक से जा रहे अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा को टक्कर मार दी थी। घटना में दोनों की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामले में आरोपी नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 और 77 के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि धारा 75 बच्चों से क्रूरता और 77 उन्हें नशीले पदार्थों की आपूर्ति करने से संबंधित है। वहीं, नाबालिग के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और मोहर व्हीकल एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।
क्या कहता है कानून?
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199ए के अनुसार अगर अपराध में कोई नाबालिग संलिप्त है तो ऐसे में दोषी उसके माता-पिता या फिर अभिभावक या गाड़ी के मालिक को माना जाता है। कानून ये मानकर चलता है कि नाबालिग को गाड़ी देने में इनमें से किसी एक की सहमति थी। इस स्थिति में दोषी पाए जाने पर 3 साल जेल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्हें यह भी साबित करना होता है कि नाबालिग ने जो अपराध किया है उस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
कानून के अनुसार जिस गाड़ी के जरिए नाबालिग ने अपराध को अंजाम दिया उस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 1 साल के लिए कैंसिल कर दिया जाता है। इसके अलावा आरोपी को तब तक ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जाता जब तक कि उसकी उम्र 25 साल नहीं हो जाती। बता दें कि साल 2019 में एक्ट में संशोधन हुआ था। इसके तहत नाबालिगों के लिए धारा जोड़ी गई थी। इस धारा में नाबालिग की ओर से किए गए अपराध के लिए माता-पिता, अभिभावक या गाड़ी मालिक को जिम्मेदार तय किया गया था।