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क्या टैलेंट माइग्रेशन से प्रभावित होगा देश का आर्थिक विकास? जोहो सीईओ ने कही ये बड़ी बात

जोहो के सीईओ ने कहा कि प्रतिभाओं का माइग्रेशन  रैपिड नेशनल ग्रोथ में मददगार होगा। उन्होंने अन्य एशियाई इकोनॉमी के ऐतिहासिक पैटर्न का हवाला दिया। आइए इसके बारे में जानते हैं।
09:21 PM Dec 30, 2024 IST | Ankita Pandey
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Talent Migration Impact on Economy: आम तौर पर देश के टेलेंट का विदेशों की तरफ जाना हमारे लिए नुकसानदायक माना जाता है, लेकिन जोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बू  की सोच इससे बिल्कुल अलग है। उनका मानना है कि इससे इकोनॉमी को नुकसान नहीं होगा, बल्कि आर्थिक परिवर्तन होगा। बता दें कि इससे पहले वेम्बू ने भारतीयों से विदेश में मान्यता प्राप्त करने के बजाय देश में ही तकनीकी क्षमताएं विकसित करने की सलाह दी थी। जोहो के सीईओ देश में प्रतिभाओं के बढ़ते माइग्रेशन पर आशावादी दृष्टिकोण रखते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।

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सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

वेम्बू ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके बताया कि प्रतिभाओं का माइग्रेशन  रैपिड नेशनल ग्रोथ में मददगार होगा। उन्होंने अन्य एशियाई इकोनॉमी के ऐतिहासिक पैटर्न का हवाला दिया। कोरिया और ताइवान से प्रतिभाओं का माइग्रेशन 1970 और 80 के दशक में चरम पर था, जबकि चीन में लगभग एक दशक पहले प्रतिभाओं का माइग्रेशन चरम पर था। ये सभी इन देशों में परिवर्तनकारी विकास की अवधि के दौरान थे। उन्होंने इस पैटर्न के सबूत के रूप में सिलिकॉन वैली की बदलती डेमोग्राफिक्स की ओर इशारा किया, जहां अब भारतीय प्रवासियों की संख्या चीन, हांगकांग और ताइवान से आने वाले प्रवासियों से अधिक है।

 

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2035 तक जारी रह सकता है माइग्रेशन

भारत की तकनीकी क्षमताओं के निर्माण के लिए घरेलू प्रतिभा को बनाए रखने की वकालत करते हुए, वेम्बू ने कहा कि भारतीय 2035 तक भी अपने देश की प्रगति को कम आंकना जारी रख सकते हैं। इस समय तक प्रति व्यक्ति GDP 10,000 डॉलर से अधिक हो सकती है। उन्होंने जापान और कोरिया के ऐतिहासिक अनुभवों के साथ समानताएं बताईं, जहां नागरिक पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के साथ समानता हासिल करने के बाद भी अपने देशों की प्रगति के बारे में संदेह में रहे।

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