चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत क्राइम या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में इस दिन होगा फैसला
Supreme court verdict on Watching child pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत क्राइम है या नहीं? 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना निर्णय सुना सकता है। दरअसल, अप्रैल में कोर्ट ने इस मामले में अपना ऑर्डर रिजर्व किया था।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई पूरी कर चुकी है। बता दें देश में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सख्त सजा का प्रावधान है।
मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले चुनौती दी गई थी। दो एनजीओ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और बचपन बचाओ आंदोलन ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द करने का आग्रह शीर्ष अदालत से किया था जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को पॉक्सो और आईटी एक्ट के तहत क्राइम के दायरे से बाहर रखा गया है।
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने ये दी दलीलें
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के वीडियो या फोटो को डिलीट किए जाने की बात कही गई है। यहां बता दें कि कानून में प्राइवेट में पोर्न देखना अपराध नहीं है। लेकिन पोर्न वीडियो या फोटो डाउनलोड कर उसे वायरल करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए आईटी एक्ट की धारा 67, 67A, 67B के तहत ऐसा पहली बार करने पर 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना और दूसरी बार करने पर 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माने तक का प्रावधान है।
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