ग्वालियर-चंबल में बदलेंगे सियासी समीकरण, अहम होगी ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका
Gwalior Chambal Politics: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक भूमिका अहम होने वाली है। 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को ग्वालियर चंबल में ऐतिहासिक जीत मिली थी, जिस में सबसे अहम भूमिका ज्योतिरादित्य सिंधिया ने निभाई थी। लेकिन अब वे भाजपा में शामिल हो चुके है, ऐसे में इस बार अंचल का सियासी समीकरण बदला है तो वही सिंधिया की साख भी दांव पर है।
2018 में कांग्रेस को मिली थी शानदार जीत
2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने ग्वालियर चंबल अंचल में रिकॉर्ड सीट जीतते हुए मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सरकार बनाई थी, उस दौरान एक बड़ी संख्या सिंधिया समर्थक नेताओं की थी जिन्हें अंचल की जनता ने बतौर विधायक चुना था। लेकिन 2020 में मध्यप्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच की खींचतान इस हद तक बढ़ी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, इसके बाद सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। जिससे कमलनाथ सरकार गिर गई।
कांग्रेस की सरकार गिरते ही समीकरण बदल गए। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की नींव हिला देने वाले सिंधिया अब कांग्रेस के लिए गद्दार बन गए हैं और वही भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया को अहम स्थान देते हुए ग्वालियर चंबल अंचल में उन्हें विशेष भूमिका दी गई है। खुद BJP के कद्दावर नेता कह रहै है कि एक बार फिर मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों को जीतने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका होगी।
कांग्रेस साध रही निशाना
2020 में सत्ता में जाने के बाद से कांग्रेस पार्टी भी इस बार बीजेपी से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमलावर है, यही वजह है कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कह रही है कि 2018 में ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया का कोई जादू नहीं चला था उस वक्त कांग्रेस पार्टी की लहर थी और उस लहर में प्रचंड जीत कांग्रेस को हासिल हुई थी, इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई रोल नहीं था। वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस 2018 में सिंधिया की वजह से ग्वालियर चंबल में जीती थी।
2018 में ऐसे रहे थे ग्वालियर-चंबल के नतीजे
बता दें कि 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अंचल की 34 में से 26 सीट जीती थी, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ 7 सीटें आई थी, उस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया का जादू अंचल में इस तरह चला था कि बीते कई चुनावों का रिकॉर्ड टूटा था, ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 1 सीट ही बीजेपी के पास पहुंची जबकि 5 सीटों पर कांग्रेस जीती थी।
उपचुनाव से बदले समीकरण
2020 में हुए सत्ता के उलटफेर के बाद ग्वालियर चंबल अंचल की 34 में से 17 सीट बीजेपी और 17 सीट कांग्रेस के पास है. वहीं ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 4 सीट कांग्रेस के पास और 2 सीट बीजेपी के पास है। सिंधिया समर्थक विधायकों को जहां शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है तो वहीं 2020 उप चुनाव में हारे हुए चेहरों को भी निगम मंडल बोर्ड में पद देते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
इन आंकड़ों को देखने पर यह तो साफ हुआ है कि सिंधिया को बीजेपी में बड़ा ओहदा मिला हुआ है साथ ही वे पावरफुल भी हुए हैं, ऐसे में क्या इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए सिंधिया का जादू चल पाएगा, क्या ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस पार्टी को रिकॉर्ड सीट जिताने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में अहम रोल अदा करते हुए बीजेपी को अंचल से होते हुए सत्ता की गद्दी तक पहुचाएंगे, इन सभी सवालों और आंकड़ों की वजह से इस बार सिंधिया की राजनीतिक साख दांव पर है।
ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट