मां नर्मदा नदी के आसपास नॉनवेज-शराब पार्टी की तो खैर नहीं! CM मोहन यादव ने जारी किया ये सख्त निर्देश
Narmada River Ghat Prohibit Alcohol and Meat Consumption: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीते दिन सुशासन भवन में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई। इस बैठक को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने मां नर्मदा नदी के जल को निर्मल और अविरल प्रवाह बनाए रखने के लिए कार्य योजना बनाने की बात कही। इस दौरान सीएम मोहन यादव ने मां नर्मदा नदी को प्रदेश की जीवनदायनी बताया और सख्त निर्देश देते हुए नर्मदा तट पर बसे धार्मिक नगरों और स्थलों के आसपास मांस और शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने के लिए कहा।
नर्मदा का संरक्षण और संवर्धन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में आज जीवनदायिनी मां नर्मदा के जल को निर्मल एवं प्रवाह को अविरल रखने तथा समग्र विकास के लिए गठित मंत्रिमंडल समिति के साथ कार्ययोजनाओं… pic.twitter.com/aBbtS2a9SN
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) September 13, 2024
नर्मदा नदी के पास बंद हो मांस-मदिरा का उपयोग
बैठक में सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नर्मदा नदी के तट पर बसे धार्मिक नगरों और धार्मिक स्थलों या फिर उनके आसपास के इलाकों में मांस-मदिरा का उपयोग पूरी तरह से बंद हो। इसके साथ ही उन्होंने नदी में मशीनों से खनन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। सीएम मोहन यादव ने बताया कि प्रदेश में नर्मदा किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा नदी के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सेटेलाइट इमेजरी और ड्रोन टेक्नोलॉजी के जरिए भी नजर रखी जाए। उन्होंने नर्मदा नदी की सफाई को लेकर निर्देश दिया कि मां नर्मदा में स्वच्छता बनाए रखते हुए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी का उपयोग करने को कहा है।
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जल स्त्रोतों को बचाना बेहद जरूरी
इस दौरान सीएम मोहन यादव ने कहा कि मां नर्मदा राज्य के सभी लोगों के लिए श्रद्धा, विश्वास और आस्था का केंद्र है। मां नर्मदा केवल नदी नहीं, हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है। कंज्यूमर ओरिएंटेड लाइफस्टाइल की वजह से प्रकृति और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। इसके दुष्प्रभावों से नदियों का भी पानी खराब हो रहा है। नदियों और बाकी जल स्रोतों को इससे बचाना जरूरी है।