29 घंटे में नहीं तय हुए CM तो महाराष्ट्र में लग जाएगा राष्ट्रपति शासन, जानें क्या कहते हैं नियम?
Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। 15वीं विधानसभा में फिर महायुति को जनता ने चुना है। 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को रात 12 बजे समाप्त हो जाएगा। अभी तक महायुति ने सरकार बनाने का दावा भी पेश नहीं किया है। अगर तय समय सीमा में दावा पेश नहीं किया गया तो तय है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। इससे पहले 2019 में भी ऐसा हो चुका है। चुनाव के नतीजों के बाद उस समय बीजेपी और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर उठापटक देखने को मिली थी।
पहले भी हो चुका ऐसा
तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी। लेकिन बाद में बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। जिसके 11 दिन बाद राष्ट्रपति शासन हटा था। लेकिन ये सरकार लंबी नहीं चल पाई थी। सिर्फ 80 घंटे में ही सरकार गिर गई थी। बाद में उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की शपथ ली थी। महायुति की जीत के बाद न केवल सीएम पद को लेकर फैसला हो पाया है, बल्कि विधायकों ने भी अभी तक शपथ नहीं ली है। चुनाव आयोग की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। विजेता उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट दे दिए गए हैं। चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए गए थे।
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जीते उम्मीदवारों के नाम भी निर्वाचन आयोग की तरफ से अधिसूचना के माध्यम से राज्य राजपत्र में प्रकाशित किए जा चुके हैं। इस प्रक्रिया को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 73 के नियमों के तहत पूरा करना होता है। 24 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस चोकलिंगम और उप चुनाव आयुक्त हिरदेश कुमार ने गवर्नर सीपी राधाकृष्णन को सभी नए विधायकों की लिस्ट सौंपी थी। इसके साथ राजपत्र की कॉपी भी उनको सौंपी गई थी। संविधान में राष्ट्रपति शासन को लेकर नियम हैं।
Maharashtra CM Eknath Shinde says,
“Na bhootho na bhavishyati” 😀👌🏼💪🏼💪🏼
Thanks to all the Hindus of Maharashtra. Job well done.#MaharashtraElectionResults pic.twitter.com/oosN4zpAuD
— Tathvam-asi (@ssaratht) November 23, 2024
राज्यपाल के पास ये ऑप्शन
अगर कोई पार्टी सरकार बनाने को आगे नहीं आती या सरकार बनने तक कोई निर्णय नहीं होता तो गवर्नर अधिनियम 356 का इस्तेमाल करते हैं। जिसके बाद राज्यपाल राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करते हैं। इसके लिए विधानसभा का विघटन करना भी जरूरी नहीं होता है। अनुच्छेद 172 के अनुसार चुने गए विधायक तय समय तक बने रहते हैं। अगर इमरजेंसी है तो संसद इस अवधि को एक साल के लिए एक्सटेंड कर सकती है। राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन न लगाने का विकल्प भी होता है। वे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं। अगर बड़ा दल तैयार हो जाए तो राष्ट्रपति शासन नहीं लगता। अगर बड़ा दल इनकार कर दे तो उससे कम बहुमत वाले दल को बुलाया जाता है।
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