whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

पर्यावरण संकट से निपटने में बिहार का जल-जीवन-हरियाली अभियान बन सकता है नज़ीर...

आज जब देश के सामने जलवायु परिवर्तन से उपजे गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं तो लोगों को पेड़ लगाने की याद आ रही है। बिहार हमेशा से देश को राह दिखाता रहा है। मुख्यमंत्री का विज़न एक मजबूत, स्वच्छ और स्वस्थ बिहार के निर्माण से जुड़ा है।
10:21 PM May 30, 2024 IST | Rakesh Choudhary
पर्यावरण संकट से निपटने में बिहार का जल जीवन हरियाली अभियान बन सकता है नज़ीर
बढ़ते तापमान के बीच बिहार का जल जीवन हरियाली अभियान बन सकता है नजीर

वरिष्ठ टीवी पत्रकार आनंद कौशल की कलम से

Advertisement

जल-जीवन-हरियाली अभियान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा है। दुनिया में पर्यावरण के प्रति गंभीरता और जागरुकता फैलाना इसका खास मकसद रहा है। पर्यावरण की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए यथासंभव प्रयास करने और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने का मुख्यमंत्री का अभियान प्रशंसनीय रहा है। राज्य को हरित प्रदेश बनाने के साथ ही ग्राउंड वाटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने और प्राकृतिक जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार का उनका भगीरथ प्रयास पूरी दुनिया के लिए नज़ीर बना हुआ है।

पूरा देश आज भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान से जद्दोजहद कर रहा है। कोई ऐसा दिन नहीं बीत रहा जब सुबह से ही ज़िंदगी की जंग शुरु नहीं हो रही हो। लगभग सभी राज्यों में बढ़ते तापमान के कारण लोगों का काफी बुरा हाल है। सुबह होते ही घरों में रहना भी मुश्किलों से भरा होता जा रहा है। कामकाज के लिए स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा, गया, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, सारण, गोपालगंज समेत मिथिलांचल और सीमांचल के जिलों में भी स्थिति एक जैसी बनी हुई है। सुबह में ही तापमान 35-36 डिग्री के आसपास हो जा रहा है। दिन चढ़ते ही 46 और 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास पारा बना रहता है। अभी अगले दस दिनों तक ऐसी ही स्थिति रहने वाली है।

Advertisement

भले ही राज्य सरकार ने स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी हो। आपदा प्रबंधन विभाग की एडवाइजरी के हिसाब से काम हो रहा हो लेकिन वास्तविक स्थिति भयावह बनी हुई है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री के प्रयासों की याद गंभीरता से आने लगी है। बिहार में मुख्यमंत्री ने हरित आवरण बढ़ाने की दिशा में गंभीर प्रयास किया है। झारखंड से बिहार के बंटवारे के बाद हरित आवरण चिंताजनक थी जो केवल 9 प्रतिशत के आसपास था, जिसे गंभीर प्रयासों से आज 15 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री इसे 17 प्रतिशत करने का संकल्प ले चुके हैं।

Advertisement

भू-जल स्तर में गिरावट के बाद बढ़ी पेयजल की चिंता

इसी तरह प्राकृतिक जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार का भगरीथ प्रयास भी इस दिशा में प्रभावी रहा है। मुख्यमंत्री ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की सफलता के लिए जल-जीवन-हरियाली यात्रा भी शुरु की। इस अभियान को मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019 में शुरु किया था और इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया था। कई जिलों में भूजल स्तर में गिरावट के बाद लोगों के बीच पेयजल की चिंता बढ़ रही है। देश में वर्षापात की कमी भी लगातार देखी जा रही है। पिछले तीस वर्षों में राज्य में वार्षिक वर्षापात 1027 मिलीमीटर से घटकर 900 मिलीमीटर रह गया है। इस स्थिति में खेत एवं किसान की चिंता की वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। उसपर बढ़ते तापमान के कारण किसानों की फसलों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। बिहार के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान महत्वपूर्ण है इस स्थिति में बिहार के लिए चिंता भी व्यापक है।

जल-जीवन-हरियाली अभियान का उद्देश्य...

जल-जीवन-हरियाली अभियान का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने, पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने, पर्याप्त जल उपलब्धता सुनिश्चित करने, वन आच्छादन को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत पर बल देने और बदलते पारिस्थितिकीय परिवेश के अनुरूप कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को नया स्वरूप प्रदान करना है। राज्य में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए 24 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य के विपरीत 19 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। सभी सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा के लिए सोलर प्लेट लगाने और वर्षा जल संचयन के लिए इंतजाम करने का निर्देश पूर्व में ही दिया जा चुका है। इसपर गंभीरता से काम किया जा रहा है। बिहार सरकार का संकल्प है कि जीवन में खुशहाली तब तक, जल-जीवन-हरियाली जब तक...। देश भर में किसी राज्य ने जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को नहीं समझा या अगर समझा तो उन्होंने गंभीर प्रयास नहीं किया। मुख्यमंत्री लगातार खुले मंचों से कहते रहें हैं कि बिहार जो आज करता है उसे सभी राज्य बाद में अमल में लाते हैं।

विकास का रास्ता प्रकृति के विनाश से होकर गुजर रहा...

पेड़ों को काटकर और प्रकृति का विनाश कर विकास का सफर शुरु तो कर दिया गया लेकिन इसके गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं। मुख्यमंत्री का जल-जीवन-हरियाली अभियान कई अर्थों में पारिस्थितिकीय खतरों से निपटने में सक्षम हो सकता है। इस अभियान की वज़ह से लोगों में थोड़ी बहुत जागरुकता भी आई है लेकिन नतीजों के बेहतर परिणाम निकलने के लिए इसका व्यापक स्तर पर अमल में लाना जरूरी है। आज जब देश के सामने जलवायु परिवर्तन से उपजे गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं तो लोगों को पेड़ लगाने की याद आ रही है। बिहार हमेशा से देश को राह दिखाता रहा है। मुख्यमंत्री का विज़न एक मजबूत, स्वच्छ और स्वस्थ बिहार के निर्माण से जुड़ा है। जल-जीवन-हरियाली अभियान की व्यापकता और इसके महती उद्देश्यों को अगर सही से अपनाया जाए तो हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। सड़कों के दोनों ओर पौधे लगाने, स्टेट एवं नेशनल हाइवे के बीचों बीच पेड़ लगाने, निजी आवासों अथवा अपार्टमेंटों के निर्माण में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था करने और सोलर प्लेट लगाने पर कई छूट उपलब्ध कराने जैसी पहल से बिहार की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है।

बिहार की सार्थक पहल की चर्चा से हर बिहारी को हुआ गर्व...

यूनाइटेड नेशंस में मुख्यमंत्री के जिस प्रयास की प्रशंसा हुई हो उस पर हर बिहारी को गर्व करना चाहिए। हर बिहारी का भी ये कर्तव्य हो कि मुख्यमंत्री के इस कदम को हर तरह से समर्थन और सहयोग प्रदान करें। मुख्यमंत्री के प्रयासों में कुछ कमी रह सकती है लेकिन नीयत में कोई कमी नहीं दिखती। महत्वपूर्ण बात ये है कि प्रशासनिक तंत्र इस दायित्व को निभाए और उनके निर्णयों को अक्षरश: लागू कराए। आने वाले समय में लगातार बढ़ते तापमान के लिए अधिकाधिक पेड़ों को लगाने के साथ ही प्राकृतिक जल स्त्रोतों को कब्जामुक्त करना हमारी प्राथमिकता में शामिल हो। जानकारों का कहना है कि अगर पांच सौ से हज़ार पेड़ एक जगह लगाए जाएं तो आसपास के वातावरण में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक की कमी देखी जाती है। इस तरह से बिहार में नए बनने वाले अपार्टमेंटों में अब आधे एरिया को ग्रीन एरिया में कनवर्ट करने का प्रचलन शुरु हुआ है।

अगले कुछ सालों में डिब्बाबंद ऑक्सीजन खरीदेंगे हम

पटना में कई सड़कों के बीचों बीच पौधारोपण करने के साथ ही नेहरू पथों पर बड़े गमले लगाए गए हैं। जल-जीवन-हरियाली दिवस मनाने की परंपरा शुरु की गई है ताकि इससे जुड़े सभी विभागों में जागरुकता और जानकारी साझा की जा सके। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग लगातार जनहित में इस अभियान को प्रचारित-प्रसारित करा रहा है। विभाग अपने सोशल मीडिया पेज के जरिए इससे जुडी हर गतिविधि को करोड़ों लोगों तक पहुंचा रहा है। अब ये समय आग गया है कि हम इस विषय को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा समझें। आज हम पीने के लिए बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करने लगे हैं। भीषण गर्मी से बचने के लिए एयर कंडीशन का उपयोग कर रहे हैं और ये अचरज की बात नहीं होगी कि अगले कुछ वर्षों में हम ऑक्सीजन सिलेंडर की भी खरीददारी करने लगे और कंपनियां इसे भी डिब्बे में बेचने लगे। हमने अपनी दुनिया को ऐसा बना दिया है जहां से अब वो हमें अपनी पीड़ा लौटा रहा है। अगर देश और राज्य को इस खतरे से बचाना है तो जल-जीवन-हरियाली अभियान से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखता।

लेखक वरिष्ठ टीवी पत्रकार और मीडिया स्ट्रैटजिस्ट हैं।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो