Mahabharat Story: कलियुग में सभी मनुष्य होंगे इस 10 महापाप के भागीदार!
Mahabharat Story: महाभारत के अनुशासन पर्व में एक प्रसंग पढ़ने को मिलता है। इस प्रसंग में युधिष्ठिर एक दिन भीष्म पितामह से पूछते हैं कि पितामह ! अभी द्वापरयुग और कलियुग का संधिकाल चल रहा है। ऐसे में कृपया कर आप बताइए कि कलयुग में मनुष्य कौन-कौन से महापाप करेंगे? तब भीष्म पितामह ने कहा हे युधिष्ठिर ! मैं तुम्हें 10 ऐसे महापाप के बारे में बताने जा रहा हूं जो कलियुग के सभी मनुष्य जाने-अनजाने में अवश्य करेंगे।
1. हिंसा करना
महाभारत में भीष्म पितामह ने बताया था कि कलियुग में मनुष्य हिंसक होंगे। वह अपने लाभ के लिए किसी के साथ भी हिंसा कर सकते हैं। हिंसा करना कलयुग में महापापों की श्रेणी में आएगा। परन्तु अज्ञानतावश सभी मनुष्य ये पाप जरूर करेंगे।
2. चोरी करना
कलियुग में चोरी करना भी महापाप माना जाएगा लेकिन मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दूसरे का धन चुराएगा। राज्य के अधीन काम कर रहे लोग काम करने के बदले लोगों से रिश्वत की मांग करेंगे। रिश्वत के पैसों से वह सुखी जीवन जीना चाहेंगे।
3. व्यभिचार
कलियुग में स्त्री हो या पुरुष सभी समय के साथ चरित्रहीन होते जाएंगे। स्त्रियां पुरुषों को और पुरुष स्त्रियों को गलत नजर से देखेंगे। पितामह कहते हैं कि यह व्यभिचार कहलाएगा और व्यभिचार करना भी महापाप माना जाएगा।
4. अभद्र भाषा बोलना
महाभारत में भीष्म पितामह कहते हैं कि कलयुग में सभी मनुष्य एक दूसरों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करेंगे। बात-बात पर एक दूसरे को गाली देंगे और इस तरह महापाप के भागीदार बन जाएंगे।
5. अनर्थ बोलना
भीष्म पितामह की मानें तो कलयुग में सभी मनुष्य दूसरों के बारे में हमेशा गलत ही बोलेंगे। हमेशा एक दूसरे के चरित्र को गलत कहेंगे। ऐसा करना भी महापाप माना जाएगा।
6. बड़ों का अपमान
कलयुग में मनुष्य माता-पिता का भी अपमान करने से बाज नहीं आएगा। साथ ही आस-पास के बड़ों का भी अपमान करेगा। ऐसा करना एक प्रकार से प्रचलन बन जाएगा। मनुष्य न चाहते हुए भी महापाप का भागीदार बन जाएगा।
7. असत्य बोलना
महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह युधिष्ठिर से कहते हैं कि कलियुग में सभी मनुष्य असत्य ही बोलेगा। असत्य बोलकर वह धन कमाएगा और उसी धन के बल पर लोगों का शोषण भी करेगा। कलयुग में असत्य बोलना भी महापाप माना जाएगा।
8. गलत सोचना
कलियुग में मनुष्य सभी के लिए गलत ही सोचेगा। मनुष्यों की सोच ये होगी कि वह स्वयं खूब तरक्की करे लेकिन उसका पड़ोसी या भाई हमेशा संकटों से घिरा रहे। यही सोच मनुष्यों को महापाप का भागीदार बना देगा।
9. नुकसान पहुंचाना
युधिष्ठिर के पूछने पर पितामह भीष्म कहते हैं कि कलयुग में मनुष्य दूसरों को हमेशा मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान ही पहुंचाने का काम करेगा। ये कर्म उसे महापाप का भागीदार बना देगा।
10. वासना
कलियुग का मनुष्य हमेशा वासना में ही डूबा रहेगा। स्त्री हो या पुरुष, कोई भी एक से संतुष्ट नहीं रहेगा। वह हमेशा दूसरों के साथ संबंध बनाना चाहेगा। वासना भी महापाप माना जाएगा।
ये भी पढ़ें-Mahabharata Story: मामा शकुनि के पासे का रहस्य, उनके मरने के बाद कहां गायब हो गए जादुई पासे?
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।